38 करोड़ रुपए की पाइप लाइन का शेष भुगतान टेस्टिंग के बाद ही होगा

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38 करोड़ रुपए में डाली पाइप लाइन के लीकेज ठेकेदार ने ढूंढ-ढूंढ़कर ठीक करना शुरू कर दिए हैं। हिम्मतनगर, मोहननगर, अशोक नगर के लीकेज सुधारे जा चुके हैं। पूरी पाइप लाइन की जांच के बाद ठेकेदार को टेस्टिंग करके दिखाना होगा। निगम ने भुगतान पर रोक लगा दी है। पानी सप्लाई होने के बाद निगम बचा हुआ भुगतान करेगा। दो माह में बिछाई पाइप लाइन से सप्लाई शुरू हो जाएगी।

सितंबर में नगर निगम यूआईडीएसएसएमटी योजना में पाइप लाइन बिछाने वाली ठेकेदार एचएम कंपनी को नोटिस जारी किया था। कारण 23 करोड़ की मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना का काम अटकना था। नई योजना में पुरानी यूआईडीएसएसएमटी योजना में डाली गई पाइप लाइन को छोड़कर पाइप लाइन बिछाई जाना है। सप्लाई शुरू होने के कारण पाइप लाइन का पता नहीं चल रहा था। पहले कंपनी ने स्कैच वाला नक्शा पकड़ा दिया था, जिसमें कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। कार्रवाई के बाद कंपनी को लीकेज सुधारने के साथ पाइप लाइन का नक्शा देना होगा।

नोटिस के बाद ठेकेदार कंपनी ने पाइप लाइन के लीकेज को सुधारने का काम शुरू कर दिया है। भुगतान रोक दिया गया है। लाइन की टेस्टिंग के बाद जब तक सप्लाई चालू होने के बाद ही भुगतान होगा, वह भी अब तक की सारी पेनल्टी काटने के बाद। आरएम सक्सेना, कार्यपालन यंत्री-जलप्रदाय विभाग

पाइप लाइन से पेयजल सप्लाई होने से पहले ही कंपनी को भुगतान कर दिया गया। यह गंभीर आर्थिक अनियमितता है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो तक शिकायत पहुंच चुकी है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए। विमल छिपानी, पूर्व प्रतिपक्ष नेता-नगर निगम

पाइप लाइन के भौतिक सत्यापन के बाद कलेक्टर बी. चंद्रशेखर ने दो अधिकारियों की टीम बनाई है। इनमें पीएचई के असिस्टेंट इंजीनियर एस.एन. चौहान और सहायक मनोज पंडित शामिल हैं। कलेक्टर ने मामले को टीएल में लेकर टीम से जल्द जांच कर प्रतिवेदन देने के लिए कहा है। कुछ ही दिन में टीम हरकत में आ जाएगी।

2005 में योजना बनी, 2008 में काम शुरू हुआ। पेनल्टी लगाकर 8 साल में पांच बार समय सीमा बढ़ाई गई लेकिन अब तक पेनल्टी राशि की गणना नहीं की जा सकी है। यह 17 लाख से ज्यादा बताई जा रही है।

पहले वाली परिषद के कार्यकाल में 50 किमी पाइप लाइन डल चुकी थी। परिषद बदलने के साथ अधिकारी भी बदल गए हैं, अब ठेकेदार के अलावा किसी को नहीं पता की पाइप लाइन कहां डाली है।

बताया जा रहा है कि योजना के विपरीत पार्षदों ने अपने स्तर पर अधिकारियों व ठेकेदार से सामंजस्य बैठाकर वार्ड में मनचाहे स्थान पर पाइप लाइनें डलवा रखी हैं। नक्शा बनने के बाद इसका भी खुलासा हो जाएगा।

अनियमितताओं के बावजूद पूर्व कार्यपालन यंत्री ने कार्य पूर्णता प्रमाण-पत्र जारी कर बिल भी बना दिए थे। टेस्टिंग में गड़बड़ी पकड़ में आई। 38 करोड़ में से 36.5 करोड़ से ज्यादा कंपनी को भुगतान भी हो चुका है। अब सिर्फ 85 लाख रुपए और एक करोड़ रुपए की बैंक गारंटी निगम के पास जमा है।

103 किमी में से वर्तमान में सिर्फ 15 या 17 किमी की पाइप लाइन ही पेयजल सप्लाई के काम आ रही है। बाकी बेकार पड़ी है। सबसे ज्यादा खराब हालत मोहननगर, अशोकनगर, वीआईपी नगर, ओसवाल नगर, डोसीगांव आदि क्षेत्र में है। यहां एक बार भी टेस्टिंग नहीं हुई है।