आईपीएल में कब चलेगा सचिन का बल्ला?

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मुंबई इंडियन्स अब तक छह मैच जीत चुकी है, लेकिन इस टीम के सबसे बड़े स्टार का बल्ला है खामोश। मास्टर ब्लास्ट बार-बार हो रहे हैं सीजन सिक्स में फ्लॉप, जिसके बाद उठने लगे हैं अब मास्टर पर सवाल कि क्या अब छोड़ देना चाहिए सचिन को झमाझम क्रिकेट का मैदान?ये तमाम सवाल पूछ रहे हैं वो सभी करोड़ों फैन्स जो सिर्फ और सिर्फ मास्टर ब्लास्टर के लिए पहुंचते हैं स्टे… आईपीएल में कब चलेगा सचिन का बल्ला?

मुंबई इंडियन्स अब तक छह मैच जीत चुकी है, लेकिन इस टीम के सबसे बड़े स्टार का बल्ला है खामोश। मास्टर ब्लास्ट बार-बार हो रहे हैं सीजन सिक्स में फ्लॉप, जिसके बाद उठने लगे हैं अब मास्टर पर सवाल कि क्या अब छोड़ देना चाहिए सचिन को झमाझम क्रिकेट का मैदान?ये तमाम सवाल पूछ रहे हैं वो सभी करोड़ों फैन्स जो सिर्फ और सिर्फ मास्टर ब्लास्टर के लिए पहुंचते हैं स्टेडियम, जो सिर्फ मास्टर शॉट्स देखने के लिए करते हैं स्टेडियम कारुख। लेकिन आईपीएल अलग छे में मास्टर ने अपने सभी फैन्स को रखा है अब तक अपने मास्टर स्ट्रोक्स से महरुम। सीजन सिक्स में मास्टर ब्लास्टर मुंबई इंडियन्स के लिए अब तक दस मैचों में मैदान पर उतर चुके हैं, लेकिन इन मैचों में मास्टर का बल्ला रहा है खामोश। हर बार सचिन ने किया है निराश, वो लगातार हो रहे हैं फ्लॉप।मौजूदा सीजन में सचिन ने अब तक खेले हैं 10 मुकाबले जिसमें उन्होंने महज 17 की औसत से बनाए हैं 171 रन। यही नहीं इन 10 पारियों में सचिन चेन्नई के खिलाफ एक मैच में खाता तक नहीं खोल पाए (6 अप्रैल को मुंबई और चेन्नई का मैच), जबकि 5 पारियों में मास्टर दहाई का आंकड़ा छूने में भी नाकाम रहे। हां दिल्ली के खिलाफ एक अर्धशतक जरूर सचिन ने लगाया वो भी आया वो भी आया टी-20 के लिहाज से बेहद धीमी गति से (21 अप्रैल को दिल्ली और मुंबई कै मैच), जाहिर है झमाझम क्रिकेट में इतना खराब प्रदर्शन मास्टर ने इससे पहले कभी नहीं किया। ऐसा भी नहीं है मास्टर को स्टार्ट नहीं मिल रहा, कितने ही मैचों में मास्टर को शुरुआत भी मिली, लेकिन अपनी गलतियों की वजह से वो नहीं खेल सके बड़ी पारी।सचिन हर बार गलत शॉट सेलेक्शन की वजह से गंवा रहे हैं, अपना कीमती विकेट। वो बार-बार हो रहे हैं बोल्ड, क्योंकि अब उनके रिफ्लेक्सिस हो चुके हैं कमजोर, तो क्या अब वक्त आ गया है चालीस के मास्टर अब थाम लें बल्ला, क्योंकि इस तरह सुपर फ्लॉप होने से हर कोई दबी जुबान में ही सही, लेकिन कहने लगा है, बस अब बहुत हुआ सचिन…।तो मास्टर ब्लास्टर का बल्ला ख़ामोश है लेकिन सबसे बड़ी परेशानी ये है कि सचिन फिर बार-बार हो रहे हैं बोल्ड। पहले भी दिग्गज उठा चुके हैं उनकी तकनीक और उम्र परउंगलियां और अब एक बार फिर फॉर्म के साथ साथ मास्टर की तकनीक भी है सवालों में।हालांकि क्रिकेट के कर्मयुद्ध में लगातार फेल हो रहे सचिन की फॉर्म पर ही सवाल नहीं है, बल्कि सवाल उनके आउट होने के तरीके पर भी हैं। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर नहीं बचा पा रहे हैं अपनी गिल्लियां बार-बार बोल्ड हो रहे हैं मास्टर ब्लास्टर। पिछले 4 मुक़ाबलों में सचिन तीन बार हो चुके हैं बोल्ड और दो बार एल बी डब्लु। अंदर आती हुई गेंदों का सामना नहीं कर पा रहे हैं सचिन तेंदुलकर। इसलिए एक बार फिर मास्टर की तकनीक में दिखने लगी हैं कमियां।हैदराबाद के ख़िलाफ़ ईशांत शर्मा ने सचिन की स्टंप्स बिखेर दिए, ईशांत की शॉट ऑफ़ लेंथ बॉल पर सचिन जल्दबाज़ी कर गए और बैट और पैड के बीच जो गैप था उसने सचिन को पवेलियन का रास्ता दिखा दिया। वहीं किंग्स इलेवन पंजाब के ख़िलाफ़ भी मास्टर अपनी गिल्लियां नहीं बचा पाएं सके थे। प्रवीण कुमार की गेंद को सचिन ने ड्राइव करने की कोशिश की लेकिन गेंद इनसाइड ऐज लेकर विकेट के जा टकरा।लेकिन आईपीएल अलग छे में सचिन के बोल्ड होने का सिलसिला केकेआर के ख़िलाफ़ हुए मुक़ाबले में शुरू हुआ। ईडन गार्डन्स में सुनील नारायण की गेंद की पहेली को बूझने में सचिन नाकाम रहे और गेंद उनके मीडिल स्टंप को ज़मीन पर गिरा दिया।बोल्ड होने की सचिन परेशानी अब पुरानी हो गई है। सचिन के सबसे बड़े मुरीद सुनील गावस्कर ने भी सचिन के कमज़ोर होते रिफ़ैलेक्स पर उंगली उठाई थी और शायद आप ये सुनकर हैरान रह जाएं कि पिछले साल अगस्त में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 2 टेस्ट मैचों की घरेलू सीरीज़ में सचिन तीन बार बल्लेबाज़ी करने उतरे और तीनों बार बोल्ड हुए।पिछले साल की शुरुआत से अब तक वो 13 टेस्ट मैचों में में 7 बार बोल्ड हो चुके हैं। सबसे ज़्यादा बार बोल्ड होने के मामले में वो दुनिया के दूसरे बल्लेबाज़ हैं। सचिन अपने टेस्ट करियर में 54 बार बोल्ड हो चुके हैं। इस लिस्ट में सबसे ऊपर 55 बार बोल्ड होने वाले राहुल द्रविड़ हैं, लेकिन लगता है कि ना चाहते हुए भी जल्दी ही ये रिकॉर्ड सचिन के नाम हो जाएगा।ये सच है कि किसी को कोई हक़ नहीं वो सचिन से कहे कि अब बस करो, लेकिन क्या ख़ुद सचिन को ये सोचने की ज़रूरत नहीं कि बढ़ती उम्र और कमज़ोर पड़ते रिफ़ैलेक्स के साथ वो टीम को कितना भला कर रहे हैं।