दुनिया का सबसे अमिर बोर्ड हमेशा से रहा है डीआरएस के ख़िलाफ़। डिसिज़न रिव्यू सिस्टम पर इस बार भी नहीं बदले हैं बीसीसीआई के तेवर। बोर्ड ने इस बार भी तैयार कर लिया है डीआरएस की ‘नो एंट्री’ का प्लान।बीसीसीआई को है डिसिज़न रिव्यू सिस्टम से है परहेज। दुनिया के सबसे अमिर बोर्ड को गंवारा नहीं डीआरएस। भारत हर बार कर देता है डीआरएस को ना, इस बार भी बोर्ड न क… दुनिया का सबसे अमिर बोर्ड हमेशा से रहा है डीआरएस के ख़िलाफ़। डिसिज़न रिव्यू सिस्टम पर इस बार भी नहीं बदले हैं बीसीसीआई के तेवर। बोर्ड ने इस बार भी तैयार कर लिया है डीआरएस की ‘नो एंट्री’ का प्लान।बीसीसीआई को है डिसिज़न रिव्यू सिस्टम से है परहेज। दुनिया के सबसे अमिर बोर्ड को गंवारा नहीं डीआरएस। भारत हर बार कर देता है डीआरएस को ना, इस बार भी बोर्ड न कर ली है तैयारी डीआरएस की नो एंट्री की।लॉर्ड्स में 25 से 29 जून तक आईसीसी की सालाना बैठक होगी जिसमें डीआरएस का मामला एक बार फिर उठेगा क्योंकि टेस्ट खेलने वाले 10 में 9 देश डीआरएस के पक्ष में हैं लेकिन बीसीसीआई अपनी ज़िद छोड़ने के लिए तैयार नहीं। बोर्ड ने पहले ही सख़्त तेवर दिखाते हुए कह दिया है की किसी सूरत में डीआरएस नहीं है मंज़ूर और आईसीसी की होने वाली बैठक में भारत अपना पक्ष मज़बूती से रख सके इसलिए बीसीसीआई के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने भी कर ली है बैठक में जाने की तैयारी क्योंकि श्रीनिवासन ही वो शख़्स हैं जो हर इंटरनेशनल प्लैटफ़ॉर्म पर पुरज़ोर तरीके से करते हैं इस तकनीक का विरोध और उन्हें यक़ीन है कि सिर्फ़ वही रोक सकते हैं आईसीसी को डीआरएस के इस्तेमाल से।इतना ही नहीं कुछ दिन पहले श्रीनिवासन ने आईसीसी को एक चिठ्ठी लिखकर चेतावनी तक दे डाली थी कि अगर आईसीसी डिसिज़न रिव्यू सिस्टम मानने को लेकर बीसीसीआई पर दबाव डाला तो बोर्ड आईसीसी की एफटीपी यानि फ्यूचर टूर प्रोगराम से ही अपने हाथ खींच लेगा।बीसीसीआई के तेवर और डीआरएस के ख़िलाफ़ तैयार किए गए उसके एक्शन प्लान को देखकर तो यही लगता की बोर्ड एक बार फिर लगा देगा डीआरएस की एंट्री पर रोक।