माही बने टीम इंडिया के दादा

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टीम इंडिया सेमीफाइनल में जीत की सबसे बड़ी दावेदार है तो उसकी वजह है कप्तान धोनी का करिशमा। फिक्सिंग की फांस में धोनी ने जिस तरह से टीम को संभाला वो बना रहा है माही को आज का दादा।फिक्सिंग का विवादसवालों में खुद धोनी और युवा टीम को आगे बढ़ाने का दबाव। उस मुश्किल वक्त में धोनी ने जिस तरह से टीम को संभाला उसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है। धोनी की कमाल की… माही बने टीम इंडिया के दादाटीम इंडिया सेमीफाइनल में जीत की सबसे बड़ी दावेदार है तो उसकी वजह है कप्तान धोनी का करिशमा। फिक्सिंग की फांस में धोनी ने जिस तरह से टीम को संभाला वो बना रहा है माही को आज का दादा।फिक्सिंग का विवादसवालों में खुद धोनी और युवा टीम को आगे बढ़ाने का दबाव। उस मुश्किल वक्त में धोनी ने जिस तरह से टीम को संभाला उसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है। धोनी की कमाल की कप्तानी उन्हें मौजूदा कप्तानों की लिस्ट में सबसे बेहतर कप्तान बनाती है।कुछ इसी तरह साल 2000 में हुए मैच फिक्सिंग कांड के बाद सौरव गांगुली ने नई टीम बनाई थी तब दादा ने टीम को नैरोबी में हुई चैम्पियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में पहुंचाया था तो अब धोनी टीम इंडिया को सेमीफाइनल में पहुंचा कर चैम्पिनशिप का सबसे बड़ा दावेदार बना चुके हैं। तब सौरव गांगुली ने सहवाग, युवराज, भज्जी और ज़हीर जैसे युवा खिलाड़ियों को साथ लेकर युवा टीम खड़ी की थी जिनके दम पर 10 साल बाद धोनी ने टीम इंडिया को विश्व चैम्पियन बनाया तो वहीं अब चैम्पियंस ट्रॉफी में धोनी ने शिखर, रोहित, जडेजा और भुवनेश्वर सरीखे युवाओं को लेकर यंग ब्रिगेड बनाई है जो 2 साल बाद विश्व कप का खिताब डिफेंड करने का माद्दा रखती है।लेकिन जिन हालातों में नई टीम खड़ी की है वह काबिलेतारिफ है। आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के सवालों के बीच धोनी ने टीम को एकजुट रखा। धोनी ने टीम को विवादों से दूर रखा और टीम को सिर्फ मैच पर ही ध्यान लगाने के लिए कहा।यही नहीं धोनी नें मैदान में ऐसे फैसले लिए जिसने ग्रेट गैम्बलर को सफल बनाया। मसलन मिडिल ऑर्डर के रोहित से ओपनिंग कराना, स्विंग गेंदबाज़ी की मददगार कंडीशंस में इरफान की जगह स्पिनर जडेजा को खिलाना या फिर पाकिस्तान के खिलाफ बारिश को ध्यान में रखते हुए बाद में बल्लेबाज़ी का फैसला।वैसे माही अगर अब टीम को चैम्पियन बनाने में सफल रहे तो विश्व कप की जीत और टेस्ट में नंबर वन बनाने की उपल्बधि के बाद धोनी की सफलताओं में एक और बड़ा हीरा तो जुड़ ही जाएगा। साथ ही फिक्सिंग को लेकर भारतीय क्रिकेट की चर्चा भी कम हो जाएगी और भारतीय क्रिकेट साल 2000 की ही तरह फिक्सिंग विवाद से पूरी तरह बाहर निकल जाएगा।