तो मेजर ध्यानचंद के नाम पर लगाई खेल मंत्रालय ने मुहर, लेकिन ऐसा क्या खास किया है दद्दा ने जो ध्यानचंद को मिली मास्टर ब्लास्टर के ऊपर तरजीह। आइए आपको बताते हैं हॉकी के जादूगर ध्यानचंद की तमाम उपलब्धियां।मेजर ध्यान चंद यानि हॉकी के जादूगर, अपनी स्टिक के जादू से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने की कला और विरोधियों को अकेले छका देने का कौशल। यही वजह है कि ख… 
तो मेजर ध्यानचंद के नाम पर लगाई खेल मंत्रालय ने मुहर, लेकिन ऐसा क्या खास किया है दद्दा ने जो ध्यानचंद को मिली मास्टर ब्लास्टर के ऊपर तरजीह। आइए आपको बताते हैं हॉकी के जादूगर ध्यानचंद की तमाम उपलब्धियां।मेजर ध्यान चंद यानि हॉकी के जादूगर, अपनी स्टिक के जादू से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने की कला और विरोधियों को अकेले छका देने का कौशल। यही वजह है कि खेलों के भारत रत्न की सूची में शामिल होने के बाद दद्दा भारत रत्न के लिए नाम नॉमिनेट हुए पहले खिलाड़ी हैं। 1905 में जन्मे मेजर ध्यानचंद का नाम हॉकी के ग्रेट खिलाडियों की श्रेणी में तो सबसे ऊपर हैं ही साथ है देश के किसी खेल को पहली बार अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का सेहरा भी उन्हीं के सिर है। आज भले ही भारत में हॉकी की दशा बेहद खराब है, लेकिन ध्यानंचद के समय में भारत का नाम हॉकी में सबसे ऊपर था। देश को पहली बार ओलंपिक गोल्ड की चमक से रुबरु भी हॉकी के इसी जादूगर ने कराया। साल 1928, 1932 और फिर अपनी कप्तानी में 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में गोल्ड यानि खेलों के तीन महाकुंभ में तीन सोने के तमगे, इस उपलब्धि की वजह से इतिहास रचने का भी दूसरा नाम बने मेजर ध्यान चंद। इन गोल्ड मेडल्स में ध्यानचंद का हाथ कितना बड़ा था इसका अंदाज़ा इस बात से भी लगता है कि इत तीन ओलंपिक के 12 मुकाबलों में दद्दा ने 33 गोल ठोंके थे। अपने करियर में ध्यानचंद ने कुल 400 से ज्यादा गोल किए और कई बार एक-एक टूर पर उन्होंने 100 गोल दागे। ध्यानचंद के जन्मदिवस यानि 29 अगस्त को ही देश मनाता है राष्ट्रीय खेल दिवस और इसी दिन अलग-अलग खेलों से जुडे़ तमाम बडे़ अवॉर्ड्स राष्ट्रपति भवन में खिलाड़ियों को बांटे जाते हैं। यही नहीं देश का नेशनल स्टेडियम भी ध्यानचंद के नाम पर है और इसमें लगा है उनका स्टेचू। लेकिन अब बारी है स्वर्गीय ध्यान चंद के नाम एक और बैंच मार्क सथापित करने की उनको देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान देने की।मैदान में अपनी बिजली सी गति के लिए जाने जाने वाले दद्दा को हालंकि युवा पीढी ने खेलते नहीं देखा है, लेकिन जिसने भी ध्यानचंद को मैदान पर जलवे बिखेरते देखा उनको इस वक्त भारत रत्न के लिए वही सबसे बड़ा नाम नजर आते हैं।वैसे तो ध्यानचंद पहले से ही हॉकी प्रेमियों के दिलों मे रत्न हैं, लेकिन अब खेल मंत्रालय ने भी उनको देश का सर्वोच्च भारतीय सम्मान देने का रास्ता साफ करके हॉकी फैंस का दिल जीत लिया है।