डिसिजन रिव्यू सिस्टम पर एक बार फिर बीसीसीआई और आईसीसी के दूसरे के खिलाफ खड़ी हो गई है। बीसीसीआई ने तो अब यहां तक कह दिया है कि अगर उनकी मर्जी के खिलाफ डीआरएस उनपर थोपा गया तो वो फ्यूचर टूर प्रोग्राम से अपने आपको अलग कर लेगी।एक बार फिर डिसीजन रिव्यू सिस्टम पर दुनिया का सबसे रईस बोर्ड बीसीसीआई और आईसीसी एक दूसरे के आमने-सामने खड़ी हो गई है। आईसीसी के… डिसिजन रिव्यू सिस्टम पर एक बार फिर बीसीसीआई और आईसीसी के दूसरे के खिलाफ खड़ी हो गई है। बीसीसीआई ने तो अब यहां तक कह दिया है कि अगर उनकी मर्जी के खिलाफ डीआरएस उनपर थोपा गया तो वो फ्यूचर टूर प्रोग्राम से अपने आपको अलग कर लेगी।एक बार फिर डिसीजन रिव्यू सिस्टम पर दुनिया का सबसे रईस बोर्ड बीसीसीआई और आईसीसी एक दूसरे के आमने-सामने खड़ी हो गई है। आईसीसी के बार-बार मनाने के बाद भी बीसीसीआई मानने को नहीं है तैयार। बीसीसीआई ने एक बार फिर आईसीसी के डिसीजन रिव्यू सिस्टम का हिस्सा बनने से साफ इनकार कर दिया है। बीसीसीआई के अध्यक्ष एन.श्रीनिवासन ने आईसीसी को कड़े लहजे में कह दिया है कि द्विपक्षीय सीरीज़ में डीआरएस उन्हें नहीं है मंजूर। अलावा इसके बीसीसीआई ने आईसीसी को ये भी साफ कर दिया है कि अगर आईसीसी ने उसके मर्जी के खिलाफ डीआरएस लागू करवाने पर जोर दिया तो फिर बीसीसीआई ICC के फ्यूचर टूर प्रोग्राम से अपने आप को कर लेगी अलग।BCCI को DRS से परहेज क्योंदरअसल आईसीसी मैच के दौरान डिसीसन को और भी फुलप्रुव बनाने के लिए डीआरएस तकनीक को जरूरी मानता है। साथ ही आईसीसी का ये भी मानना है कि अगर ये टेक्नोलॉजी सभी क्रिकेट खेलने वाले देशों के द्विपक्षी सीरीज़ में पूरी तरह से लागू हो जाती है तो इसके जरिए 15 मिलियन डॉलर तक रिवन्यू में और भी इजाफा हो सकता है लेकिन बीसीसीआई का मानना है कि ये टेक्नोलॉजी सौ फीसदी भरोसे के कसौटी पर खरी नहीं उतरती है इसलिए ये टेक्नोलॉजी बिना उसकी सहमति के उनपर नहीं थोपी जा सकती है।आपको बता दें अभी फ्यूचर टूर प्रोग्राम में 10 प्लेइंग टेस्ट देशों के बीच 8 सालों का शेड्यूल है और ये फ्यूचर टूर प्रोग्राम अभी मई 2012 से अप्रैल 2020 तक लागू है। अगर टीम इंडिया एफटीपी से बाहर हो जाती है ते विश्व क्रिकेट में तूफान आना लाज़मी है।