सरकार ने लोकल हैंडसेट वेंडर्स को फाइनैंशल ट्रांजैक्शंस की सुविधा देने वाले 2,000 रुपये से कम कॉस्ट के स्मार्टफोन पेश करने के लिए कहा है। सरकार का मानना है कि कैशलस इकॉनमी की उसकी योजना तब तक सफल नहीं हो सकती, जब तक ग्रामीण इलाकों में बजट डिवाइसेज उपलब्ध नहीं कराईं जातीं।
नीति आयोग की ओर से हाल में आयोजित एक मीटिंग में सरकार ने माइक्रोमैक्स, इंटेक्स, लावा और कार्बन जैसी डोमेस्टिक हैंडसेट मेकर्स को लो-कॉस्ट फोन बनाने के लिए कहा था, जिससे डिजिटल ट्रांजैक्शंस का दायरा बढ़ाया जा सके।
सूत्रों ने बताया कि चीन की हैंडसेट कंपनियों से इस बारे में संपर्क नहीं किया गया है, जबकि सैमसंग और ऐपल जैसी बड़ी मल्टीनैशनल कंपनियों ने मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
इस मीटिंग की जानकारी रखने वाले इंडस्ट्री के तीन सीनियर ऐग्जिक्युटिव्स ने ईटी को बताया, ‘सरकार डिजिटल ट्रांजैक्शंस की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है, लेकिन सरकार को जानकारी मिली है कि मार्केट में लो-कॉस्ट स्मार्टफोंस की कमी है।’
उनका कहना था कि सरकार हैंडसेट कंपनियों को मार्केट में 2-2.5 करोड़ हैंडसेट पेश करने के लिए जोर डाल रही है, लेकिन इनके लिए सरकार सब्सिडी नहीं देगी। सरकार ने हैंडसेट कंपनियों को डिजिटल ट्रांजैक्शंस की सुविधा देने वाले फोन की कॉस्ट कम करने के लिए समाधान लाने को कहा है।
उन्होंने बताया, ‘सरकार का लक्ष्य किसी भी स्थान से फाइनैंशल ट्रांजैक्शंस की सुविधा देना है। इसके लिए भविष्य में डिवाइसेज में आधार-बेस्ड फाइनैंशल ट्रांजैक्शंस की स्कैनिंग की क्षमता भी होनी चाहिए।’
इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि इस प्रॉजेक्ट के लिए कई बड़ी चुनौतियों से निपटना होगा। फिंगर प्रिंट स्कैनर, हाई-क्वॉलिटी प्रसेसर्स जैसे फीचर्स के साथ फोन की कॉस्ट कम रखने सबसे बड़ी चुनौती है।
अभी मार्केट में 3जी स्मार्टफोन्स की शुरुआत लगभग 2,500 रुपये से होती है, जबकि 4जी फोन्स की शुरुआती कीमत इससे अधिक है। देश के ग्रामीण इलाकों में अभी भी फीचर फोन का काफी इस्तेमाल होता है और वहां लोग प्राइस और कम आवश्यक्ताओं के चलते स्मार्टफोन खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते। देश में लगभग एक अरब मोबाइल फोन यूजर्स हैं और इनमें से लगभग 30 करोड़ के पास स्मार्टफोन हैं। इस बारे में ईटी की ओर से पूछे गए प्रश्नों का ऐपल, सैमसंग, माइक्रोमैक्स, इंटेक्स, लावा और कार्बन ने कोई जवाब नहीं दिया। पिछले साल नवंबर में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के बाद से सरकार देश में कैशलस ट्रांजैक्शंस बढ़ाने पर जोर दे रही है।