इमालवा – नई दिल्ली | गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की संप्रग सरकार द्वारा विभिन्न मुद्दों को लेकर कानून बनाने की कवायद पर कहा है कि देश को एक्ट (कानून) की नहीं एक्शन (कार्रवाई) की जरूरत है।
यहां एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश का विकास कानून बनाने से नहीं बल्कि काम करने से होगा।
उन्होंने आह्वान किया कि राष्ट्र निर्माण का काम सरकार से अधिक जनता को करना होगा क्योंकि जन सहभागिता से ही राष्ट्र निर्माण संभव है।
उन्होंने केंद्र सरकार की मनरेगा, सर्वशिक्षा अभियान और शहरी नवीनीकरण योजना के क्रियान्वयन में खामियों का जिक्र करते हुए कहा कि आत्मविश्वास और जन सहभागिता से ही लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।
राजनेताओं को विकास कार्यों को लागू करते समय जोखिम भी उठाना होंगे। देश में भ्रष्टाचार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के जरिये भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकता है। लेकिन शुरुआत ऊपर से होनी चाहिए। मोदी ने कहा कि सुशासन और जनभागीदारी से ही विकास संभव है।
सपने नहीं देखता
मोदी ने कहा कि वह देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना नहीं देखते बल्कि जहां भी रहें काम करने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने युवाओं सफलता का मंत्र बताया कि कुछ बनने का सपना मत देखो, कर्म करने का सपना देखो।
उन्होंने कहा कि मैंने कभी गुजरात का मुख्यमंत्री बनने का सपना नहीं देखा था। मोदी ने दावा किया कि उनके राज्य में धर्म के आधार पर भेदभाव किए जाने की एक भी घटना नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि देश में सभी लोगों को संरक्षण की जरूरत है। जनता को संरक्षण दिए जाने में मजहब या जाति की बात करने का कोई औचित्य नहीं है।
संघीय प्रणाली पर आघात
मोदी ने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार ने अपने नौ वर्ष के कार्यकाल में देश के संघीय ढांचे पर गंभीर आघात किए हैं। सरकार राज्यों से विचारविमर्श किए बिना फैसला कर लेती है और फिर उसे राज्यों पर थोपना चाहती है। यह संघीय प्रणाली के सिद्धांत के खिलाफ है।