इमालवा – भोपाल | 22 अप्रैल को तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने एक दिनी सामूहिक अवकाश लेकर अपनी समस्याओं के प्रति राज्य शासन को चर्चा के लिए मजबूर किया। हांलाकि राज्य सरकार की ओर से प्रमुख सचिव राजस्व से चर्चा किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। उन्होंने तहसीलदारों के प्रतिनिधि मण्डल से चर्चा कर उनसे आंदोलन वापस लेने को कहा। लेकिन शाम को बैठक के बाद तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने चर्चा से असंतुष्ट होते हुए अपना आंदोलन आगे भी जारी रखने का निर्णय लिया है।
चर्चा के बाद जब आंदोलनकारियों का प्रतिनिधि मण्डल बाहर आया तो उन्हें मंत्रालय की तीसरी मंजिल पर ही इंतजार कर रहे तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने घेर लिया। चर्चा के एक-एक अंश को जानने के इच्छुक आंदोलनकारियों के तेवर तीखे थे, उन्हें चर्चा के दौरान प्रमुख सचिव आरके चतुर्वेदी द्वारा रखे गये प्रस्तावों से ना-इत्तफाकी थी। चर्चा के बाद ये आंदोलनकारी फिर एक स्थान पर एकत्र हुए और उन्होंने अपना आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया। 24 अप्रैल से लोक सेवाओं की गारंटी से संबंधित काम नहीं कर आंदोलन जारी रखने पर सहमति बनी। राजस्व से जुड़े कार्यों को करते रहने पर की बात जरूर उन्होंने मान ली हैं। आंदोलन जारी रहने से आगे भी मूल निवासी, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, बीपीएल कार्ड तथा गेंहू उपार्जन का काम इससे प्रभावित रहेगा।
यह भी निर्णय लिया गया है कि आगे की रणनीति मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी यानि की कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के अधिकारी 4 मई को फिर एकत्र होंगे। दूसरी ओर राज्य प्रशासनिक सेवा संघ भी पांच मई को अपना अधिवेशन करने जा रहा हैं। इसमें उनके अध्यक्ष का निर्वाचन होगा और इसी के साथ ये अधिकारी उनकी मांगों पर राज्य शासन के रवैये पर विचार कर आगे की रणनीति तैयार करेंगे। वैसे इन दोनों ही सेवाओं के अधिकारियों की एक प्रमुख मांग पदोन्नति से जुड़ी हुई है। वैसे भी राज्य प्रशासनिक सेवा संवर्ग की पदोन्नति में आ रही रूकावटें ही कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पदोन्नति में अड़गें का भी एक प्रमुख कारण है। इसलिए दोनों ही संवर्ग एक साथ भी आंदोलन पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि दोनों के नेताओं के बीच इसको लेकर होली के पूर्व भी एक बार विचार हो चुका है, लेकिन तब मुख्य सचिव ने दोनों ही संघों से चर्चा कर मांगों पर विचार का आश्वासन दिया था, इसलिए तब आंदोलन की बात टल गयी थी।
तहसीलदारों की प्रमुख मांगें–
– तहसीलदारों की नियमानुसार सभी पदों पर पदोन्नति की जाए और वर्ष 2013 की डीपीसी में कैडर रिव्यू से बढ़े पदों को भी जोड़ा जाए।
– तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदोन्नति में सेवा के अनुरूप वरिष्ठता दी जाए।
– तहसीदारों की 12 से 14 वर्षों तक पदोन्नति नहीं होती, इसलिए 8 वर्ष के बाद ही अगला वेतनमान स्वीकृत किया जाए।
– लोसेगा कानून की सेवाएं देने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाए और अब तक जिन 150 तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों पर जो अर्थदंड लगाया गया है, वह निरस्त किया जाए।