डायरेक्‍ट एकाउंट में 1 जून से 18 जिलों की LPG सब्सिडी

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अगामी एक जून से 18 जिलों के रसोई गैस उपभोक्‍ताओं को मार्केट रेट पर एलपीजी सिलेंडर खरीदने पड़ेंगे, क्‍योंकि सब्सिडी के लगभग 435 रुपए सीधे उनके बैंक एकाउंट में पहुंचेंगे। यह केंद्र सरकार की भ्रष्‍टाचार रोकने और पेट्रोलियम मंत्रालय पर बोझ कम करने की रणनीति है जो लागू होने जा रही है।

केंद्र सरकार शुरुआत में इस स्‍कीम को 18 जिलों में प्रारंभ करने जा रही…

डायरेक्‍ट एकाउंट में 1 जून से 18 जिलों की LPG सब्सिडी

अगामी एक जून से 18 जिलों के रसोई गैस उपभोक्‍ताओं को मार्केट रेट पर एलपीजी सिलेंडर खरीदने पड़ेंगे, क्‍योंकि सब्सिडी के लगभग 435 रुपए सीधे उनके बैंक एकाउंट में पहुंचेंगे। यह केंद्र सरकार की भ्रष्‍टाचार रोकने और पेट्रोलियम मंत्रालय पर बोझ कम करने की रणनीति है जो लागू होने जा रही है।

केंद्र सरकार शुरुआत में इस स्‍कीम को 18 जिलों में प्रारंभ करने जा रही है। इस योजना के तहत जैसे ही ग्राहक अपना एलपीजी सिलेंडर बुक कराएगा, वैसे ही उसके बैंक एकाउंट सब्सिडी की राशि जमा सरकार के द्वारा करा दी जाएगी।

इस योजना को लेकर जहां सरकार का ढेरों उम्‍मीदें हैं, वहीं ग्राहकों में भी काफी उत्‍सुकता है। हालांकि पहले इस योजना को बीस जिलों में शुरू होना था, लेकिन मैसूर तथा मंडी में उपचुनावों के कारण इसे 1 माह के लिए टाल दिया गया है। केंद्र सरकार का विचार इस योजना को पूरे भारत में लागू करने की है।

शुरुआत में जिन जिलों में डायरेक्‍ट कैश स्‍कीम लागू हो रही है, वे हैं, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर, चित्तूर, पूर्वी गोदावरी, हैदराबाद तथा रंगा रैड्डी, दमन-दीव में दीव, उत्तरी गोवा, हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर, हमीरपुर तथा ऊना, कर्नाटक के तुमुकर, केरल के पथनमथिता व  वायनाड, महाराष्ट्र में वर्धा, पुड्डुचेरी, पंजाब  में एस.बी.एस. नगर, मध्य प्रदेश में पूर्वी  निमार (खंडवा) व हरदा जिला शामिल हैं। अगर आप भी इन जिलों में रहते हैं, तो तैयार हो जाइए इस योजना का लाभ उठाने के लिए।

केंद्र सरकार गैस सिलेंडर सब्सिडी के अलावा हर महीने मिलने वाले राशन के बदले भी लोगों के बैंक एकाउंट में पैसा ट्रांसफर करने की योजना बड़ी तेजी से बना रहा है। सरकार का मानना है कि इस तरह से भ्रष्‍टाचार पर लगाम लगेगी और लाभ सीधे गरीबों तक पहुंचेगा। एक बार किसी केंद्रीय नेता ने कहा था कि भारत में भ्रष्‍टाचार का यह आलम है कि केंद्र से जो एक रुपया गरीबों के लिए जाता है, वो गरीबों तक पहुंचे- पहुंचे सिर्फ पच्‍चीस पैसे रह जाता है।