मुंबई। आर्थिक वृद्घि को प्रोत्साहन के लिए निवेश बढ़ाने के मकसद से वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बैंकों को नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का लाभ खुदरा और कॉरपोरेट ऋण लेने वाले ग्राहकों को भी देने को कहा है।
वित्त मंत्री ने यहां इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) की सालाना आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वास्तव में रिजर्व बैंक 2012 की शुरूआत से अभी तक रेपो दरों में 1.25 फीसदी की कटौती कर चुका है। वहीं इस दौरान वाणिज्यिक बैंकों ने ब्याज दरों में मात्र 0.30 फीसदी की कटौती की है। चिदंबरम ने कहा कि मुद्रास्फीति और जमा दरों में गिरावट के मद्देनजर मैं वाणिज्यिक बैंकों से मौद्रिक नीति में नरमी का लाभ खुदरा और कॉरपोरेट ऋण लेने वालों को देने को कह रहा हूं। वाणिज्यक बैंक उन्हें कम ब्याज दर पर कर्ज दे सकते हैं।
वित्त मंत्री ने हालांकि कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति अभीभी ऊंची है। उन्होंने उम्मीद जताई कि रबी फसल की आवक के साथ इसमें गिरावट आएगी। चिदंबरम ने कहा कि अधिक ब्याज मिलने पर लोग बैंकों में अधिक जमा कराएंगे। इससे बैंकों को जमा दरों में कमी करने में मदद मिलेगी और वे इस बचत का लाभ उठाते हुए ऋण दरों को कम कर सकते हैं। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि गैर खाद्य ऋण की वृद्घि दर 2013-14 में मामूली बढ़कर 15 फीसदी रहेगी, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 14 फीसदी रही थी।
लक्ष्य में सुधार कर सकती है सरकार
सरकार को उम्मीद है कि वह चालू वित्त वर्ष 2013-14 में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को खर्चों में कटौती किए बिना सुधार सकती है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.8 फीसदी रखा है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) की सालाना आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल कर लेंगे।