हर तेल मंत्री को धमकाती है लॉबी: मोइली

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नई दिल्ली। तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि हर तेल मंत्री को ताकतवर तेल लॉबी धमकी देती है। मोइली ने कहा कि वे इन धमकियों से डरने वाले नहीं हैं।
मोइली ने शुक्रवार को कहा,आयात लॉबी तेल आयात नहीं घटाने के लिए लगातार दबाव डाल रही है। तेल एवं गैस आयात लॉबी मंत्रियों को धमकी देती है। आयात लॉबी तेल का आयात कम करने के लिए लगातार दबाव डाल रही है,किंतु वे इस लाबी के दबाव में आने वाले नहीं है और इससे उन्हें कोई डर नहीं है। 

तेल आयात लाबी चाहती है कि भारत ईधन के मामले में आयात पर निर्भर रहे। उन्होंने कहा कि आयात लाबी मेरे निर्णय को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। हमने तेल आयात बिल को घटाने के लिए कई कदम उठाए हैं और 2030 तक तेल आयात बिल शून्य करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि हमारा लगातार प्रयास है कि तेल आयात पर निर्भरता कम की जाए जिससे कि इसके आयात पर खर्च की जाने वाली बहुमूल्य विदेशी मुद्रा को बचाया जा सके।पिछले माह मोइली ने माकपा सांसद गुरूदास दासगुप्ता के आरोपों को खारिज कर दिया था। गुरूदास ने आरोप लगाया था कि गैस के दामों में प्रस्तावित संशोधन मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे निजी क्षेत्र को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था।

उन्होंने कहा,यदि हम घरेलू स्तर पर तेल दोहन बढ़ाते हैं तो 2030 तक यह संभव है। देश में तेल दोहन गतिविधियों के संबंध में मोइली ने कहा,नौकरशाही की अड़चनों की वजह से यह प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि देश में तेल दोहन तभी तेजी से बढ़ेगा जब ईधन कंपनियों को उनके निवेश पर बढिया आमदनी होगी किंतु कुछ लॉबियां घरेलू गैस की कीमत में बढ़ोतरी के लिए सरकार के रास्ते में बाधा डाल रही है क्योंकि वे नहीं चाहतीं की भारत की तेल आयात पर निर्भरता कम हो।

जापान,दक्षिण कोरिया,ब्रिटेन और स्पेन के बाद विश्व में भारत तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का सबसे बड़ा आयातक राष्ट्र है। देश में उत्पादित गैस की अधिकांश कीमत 4.2 डालर प्रति यूनिट है जबकि आयातित गैस की लागत 16 से 18 डालर प्रति यूनिट आती है। इसलिए आयात लॉबी घरेलू स्तर पर तेल एवं गैस उत्पादकों को हतोत्साहित करना चाहती है जिससे कि हमारी सारी आय इसके आयात पर बाहर चली जाए।

ईरान से कच्चे तेल के आयात के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में मोइली ने कहा कि वैश्विक कीमत की तुलना में इसकी लागत दो डालर प्रति बैरल कम आती है। इससे हमारी शोधन कंपनियों को अधिक मार्जिन मिलता है। इसलिए वह ईरान से तेल आयात के लिए अधिक इच्छुक रहती हैं।