कोरोना वायरस के संकट के कारण लागू लॉकडाउन में दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है. इन ट्रेनों के जरिए लॉकडाउन में फंसे लोगों को अपने गृह राज्य वापस भेजा जा रहा है. वहीं अब मजदूरों की घर वापसी पर राजस्थान सरकार ने यू-टर्न ले लिया है. राजस्थान सरकार ने कहा है कि जो लोग आराम से रह रहे हैं, वह जहां हैं, वहीं रहें.
दरअसल, लॉकडाउन को 17 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. लॉकडाउन बढ़ाने के साथ ही कुछ आर्थिक गतिविधियों को भी छूट दी गई है. सरकार ने लॉकडाउन में छूट देते हुए उद्योगपतियों से कहा है कि फैक्ट्रियों को चालू करें. हालांकि उद्योगपतियों के सामने समस्या मजदूरों की आ गई है.
राजस्थान के उद्योग जगत का कहना है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के मजदूर अपने घर जा रहे हैं. जिसकी वजह से फैक्ट्रियों में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. इस बीच राजस्थान सरकार ने फैसला किया है कि आराम से रह रहे मजदूरों को घर नहीं भेजा जाएगा.
मजदूरों की कमी
जयपुर की मंगला सरिया फैक्ट्री में कंस्ट्रक्शन में काम आने वाले सरिया के अलावा लोहे के दूसरे सामान बनाए जाते हैं. लॉकडाउन में मिली छूट के बाद मुश्किल से फैक्ट्री मालिक ने कुछ मजदूरों का इंतजाम कर फैक्ट्री को शुरू करने की कोशिश की. हालांकि मजदूरों की कमी की वजह से फैक्ट्री शुरू नहीं हो पा रही है.
इस फैक्ट्री में रोजाना 500 मजदूरों की जरूरत है लेकिन अभी सौ के आसपास मजदूर हैं, जिनसे फैक्ट्री चालू नहीं हो सकती. मंगला सरिया फैक्ट्री के मालिक सीताराम अग्रवाल का कहना है कि हमने मजदूरों का पूरा ख्याल रखा है. बैठाकर खिलाया है. मगर फिर भी मजदूर घर जाने के लिए उतारू हैं और काम नहीं करना चाह रहे हैं.
वहीं राजस्थान उद्योग संघ के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल का कहना है कि पूरे राजस्थान में अब तक 25000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. अगर राज्य सरकार और केंद्र सरकार श्रमिकों के पलायन को नहीं रोकेगी तो सारे उद्योग-धंधे ठप हो जाएंगे. सरकार इन्हें अगर बैठाकर खिलाना चाहती है तो मजदूरों को मनरेगा से जोड़ दें. इससे मजदूरों को भी पैसा मिलेगा और उद्योग-धंधे भी चलते रहेंगे.
काम करने को तैयार नहीं मजदूर
वहीं महाराजा साबुन की फैक्ट्री के मालिक जगदीश सोमानी का कहना है कि लेबर समस्या की वजह से फैक्ट्री चल नहीं पा रही है. जो लेबर यहां पर हैं, वह भी काम करने के लिए तैयार नहीं है. इन सब ने घर जाने का मन बना लिया है. वहीं मजदूरों का कहना है कि यह लोग एक बार घर जाना चाहते हैं. बहुत सारे मजदूर ऐसे भी हैं जो कह रहे हैं कि फैक्ट्री अगर चालू होती है वह रूकने के लिए तैयार हैं लेकिन बहुत सारे मजदूर घर चले गए हैं, जिसकी वजह से काम शुरू नहीं हो पा रहा है.
सरकार ने लिया फैसला
उधर राजस्थान सरकार के पोर्टल पर 17 लाख मजदूरों ने घर वापसी के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. जिसमें 10 लाख लोग राजस्थान आना चाहते हैं और 7 लाख लोग राजस्थान से अपने घर जाना चाहते हैं. उद्योग जगत की मांग पर राजस्थान सरकार ने भी अब फैसला किया है कि भारत सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार जो लोग फंसे हुए हैं यानी शेल्टर होम में रह रहे हैं, सरकार उन्हीं को घर भेजेगी. जो लोग आराम से रह रहे हैं उन मजदूरों को घर नहीं भेजा जाएगा.
राजस्थान सरकार के लिए लॉकडाउन- 3.0 में उद्योगों को चालू करना बड़ी चुनौती है क्योंकि मजदूर घर जाने के लिए मन बना चुके हैं. लिहाजा राज्य सरकार ने अभियान चलाकर मजदूरों के काउंसलिंग करने का फैसला किया है ताकि वह जयपुर में रूकें और फैक्ट्रियों में काम शुरू हो सके. लेबर समस्या की वजह से ट्रांसपोर्ट उद्योग भी परेशान है. इसके अलावा खाद्य सामग्री के दुकानदार भी कह रहे हैं कि लेबर नहीं मिलने की वजह से काफी ऊंची कीमत में मजदूर लाकर काम करवाना पड़ रहा है.