पहाड़ी के नीचे गुफा में शेर रहा करता था। एक चूहे से शेर बड़ा परेशान था। शेर रात में जब गहरी नींद में सो रहा होता था तो चूहा चुपके से उसकी गर्दन के बाल कुतर देता था।शेर सुबह उठ कर अपन कुतरे हुए बाल देखता तो उसका खून खौल जाता। लेकिन वो कुछ नही कर पा रहा था क्योंकि चूहा कभी उसकी पकड़ में आता ही नहीं था। शेर बस खिसिया कर रह जाता था। वो रात दिन यही सोचता रहता कि इस छोटे से दुश्मन की अक्ल कैसे ठिकाने लगाऊँ?
एक दिन शेर गाँव की ओर गया और वहाँ से एक बिल्ले को उठा लाया। उसने बिल्ले को अपनी गुफा में खूब ताज़ा मुलायम मांस खिलाया। शेर शिकार करके खुद खाता और बिल्ले को भी ताज़ा मांस खिलाता। बिल्ले को लगा कि उसकी तो किस्मत खुल गई। वो शेर के साथ गुफा में ही रहने लगा।
जिस दिन बिल्ला गुफा में आया उस दिन से चूहे ने रात में निकलना ही बंद कर दिया। शेर की रातें बड़े चैन और सुकून के साथ बीतने लगीं। बिल्ला भी मजे में था क्योंकि उसे बिना मेहनत किये बढ़िया खाना मिल रहा था। बस चूहा परेशान था, उसे अपनी जान हथेली पर लेकर बिल से बाहर निकलना पड़ता था।
एक दिन शेर जब शिकार करने बाहर गया हुआ था तो हिम्मत करके चूहा बाहर निकला, लेकिन बदकिस्मती से बिल्ले की नजर उस पर पड़ गई। बिल्ले ने तुरंत चूहे को दबोच लिया और मारकर खा गया। शेर ने जब कई दिनों तक चूहे की चूं चूं नही सुनी तो वो समझ गया कि बिल्ले ने चूहे का काम तमाम कर दिया है।
अब जब चूहा ही नही रह तो शेर को बिल्ले की क्या जरूरत, उसी दिन से शेर ने बिल्ले को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। बिल्ले को मांस मिलना भी बन्द हो गया। शेर के डर से बिल्ला कुछ बोल भी नहीं सकता था। खाना न मिलने की वजह से बिल्ला जल्दी ही बहुत कमजोर हो गया। वो शिकार करने लायक भी नहीं रहा और एक दिन भूख से उसका भी काम तमाम हो गया।