मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के खिलाफ चुनाव आयोग (EC) ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया है. कमलनाथ पर 2019 के लोकसभा चुनाव में पैसे के गलत इस्तेमाल का आरोप है. कमलनाथ इससे पहले मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान भी चुनाव आयोग के निशाने पर थे. आयोग ने कार्रवाई करते हुए उनका नाम स्टार प्रचारकों से हटा दिया था. आदर्श आचार संहिता के बार-बार उल्लंघन पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई की थी.
कमलनाथ उपचुनाव के दौरान बीजेपी नेता इमरती देवी पर विवादित बयान देकर सुर्खियों में आए थे. चुनाव आयोग ने कमलनाथ से जवाब मांगा था. कमलनाथ ने कहा था कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया. चुनाव आयोग ने कमलनाथ को नसीहत भी दी थी.
EC से मिली फटकार पर कमलनाथ ने कहा था कि अगर चुनाव आयोग मेरे पूरे भाषण को फिर से देखता है तो उसे समझ आ जाएगा कि कोई दुर्भावना नहीं थी. कमलनाथ ने कहा था कि मेरा मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था. कमलनाथ के जबाव के बाद चुनाव आयोग ने उन्हें नसीहत दी कि सार्वजनिक तौर पर ऐसे शब्दों का इस्तेमान नहीं करना चाहिए.
कमलनाथ ने पिछले साल हुए लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. तब वो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. उनकी जगह उनके बेटे नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा से किस्मत आजमाई थी. नकुलनाथ ने इस सीट पर 37,536 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की थी. कमलनाथ छिंदवाड़ा सीट से आठ बार सांसद रहे हैं और एक बार उनकी पत्नी इस सीट से चुनाव जीती हैं.
इसी साल (2020) कमलनाथ के हाथ से सीएम की कुर्सी भी चली गई. सिंधिया समर्थक 22 विधायकों के इस्तीफे के कारण कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी. 20 मार्च को कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.