गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्र को संबोधित किया. राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस की महामारी का जिक्र किया और इसके कारण जान गंवाने वालों के परिवार के प्रति शोक संवेदना प्रकट की. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में अपनी जान जोखिम में डालकर पीड़ितों की देखभाल करने वाले डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मियों, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े प्रशासकों और सफाईकर्मियों का भी उल्लेख किया.
राष्ट्रपति ने कहा कि इस महामारी में बहुतों ने तो अपने प्राण भी गंवा दिए. उन्होंने कहा कि पिछले साल जब पूरी मानवता एक विकराल आपदा का सामना करते हुए ठहर सी गई थी, उस दौरान भारतीय संविधान के मूल तत्वों पर मनन करता रहा. राष्ट्रपति ने कहा कि मेरा मानना है कि बंधुता के हमारे संवैधानिक आदर्श के बल पर ही इस संकट का प्रभावी ढंग से सामना करना संभव हो सका है.
उन्होंने कहा कि हमारे सभी किसान, जवान और वैज्ञानिक विशेष बधाई के पात्र हैं और कृतज्ञ राष्ट्र गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर इन सभी का अभिनंदन करता है. राष्ट्रपति ने कहा कि दिन-रात परिश्रम करते हुए कोरोना वायरस को डी-कोड करके, बहुत कम समय में ही वैक्सीन विकसित करके हमारे वैज्ञानिकों ने पूरी मानवता के कल्याण के लिए एक नया इतिहास रचा है. उन्होंने जवानों की भी तारीफ की और कहा कि हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है.
राष्ट्रपति ने कहा कि अंतरिक्ष से लेकर खेत-खलिहान तक शिक्षण संस्थानों से लेकर अस्पताल तक, वैज्ञानिक समुदाय ने हमारे जीवन और कामकाज को बेहतर बनाया है. उन्होंने कहा कि दिन-रात परिश्रम करते हुए कोरोना-वायरस को डी-कोड करके तथा बहुत कम समय में ही वैक्सीन को विकसित करके हमारे वैज्ञानिकों ने पूरी मानवता के कल्याण हेतु एक नया इतिहास रचा है.
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है. सियाचिन और गलवान घाटी में माइनस 50 से 60 डिग्री तापमान में सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमर में 50 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर के तापमान में, झुलसा देने वाली गर्मी में – धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में हमारे सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं.
उन्होंने कहा कि विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियों, अनेक चुनौतियों और कोरोना की आपदा के बावजूद हमारे किसान भाई-बहनों ने कृषि उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी. यह कृतज्ञ देश हमारे अन्नदाता किसानों के कल्याण के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध है. राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता हमारे जीवन-दर्शन के शाश्वत सिद्धांत हैं. इनका अनवरत प्रवाह हमारी सभ्यता के आरंभ से ही हम सबके जीवन को समृद्ध करता रहा है. हर नई पीढ़ी का यह दायित्व है कि समय के अनुरूप इन मूल्यों की सार्थकता स्थापित करे.
इतिहास के नायकों को भी किया याद
राष्ट्रपति ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस जैसे अनेक महान जननायकों और विचारकों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया था. मातृभूमि के स्वर्णिम भविष्य की उनकी परिकल्पनाएं अलग-अलग थीं लेकिन न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के मूल्यों ने उनके सपनों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया.
उन्होंने कहा कि संविधान की उद्देशिका में न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं. यह उम्मीद की जाती है कि केवल शासन की जिम्मेदारी निभाने वाले लोग ही नहीं, बल्कि हम सभी सामान्य नागरिक भी इन आदर्शों का दृढ़ता और निष्ठापूर्वक पालन करें. राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय त्योहार सभी देशवासी राष्ट्रप्रेम की भावना के साथ मनाते हैं. गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व भी हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हुए अपने राष्ट्रीय ध्वज तथा संविधान के प्रति सम्मान और आस्था व्यक्त करते हैं.