नई दिल्ली. कोविड-19 (Covid-19) के खिलाफ तमाम वैक्सीन तो बनाई जा चुकी हैं लेकिन एक बार कोरोनावायरस से संक्रमित हो जाने के बाद लंबे समय तक शरीर पर बने रहने वाले उसके असर को खत्म करने के लिए फिलहाल कोई दवा विकसित नहीं हुई है. इसी का परिणाम है कि कोविड-19 के लंबे असर में अंगों की क्षति भी शामिल है. एक रिसर्च से इस बात का खुलासा हुआ है कि करीब 59 फीसदी लोगों के शुरुआती लक्षणों के एक साल बाद या कम से कम एक बार संक्रमित होने के बाद अंगों की क्षति हुई है.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रॉयल सोसाइटी ऑफ मेडिसिन के जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों ने पुष्टि की है कि लंबे समय तक कोविड से संक्रमित रहे 29 प्रतिशत रोगियों में छह और 12 महीनों में लगातार हल्के लक्षण बने रहे और उनके कई अंगों में नुकसान हुआ. शुरुआती इलाज के 12 महीने बाद लगभग 59 प्रतिशत लंबे कोविड से संक्रमित रहे लोगों में एक अंग खराब हो गया.
अध्ययन के मुताबिक छह से 12 महीनों के बीच कोविड के लक्षण जैसे अत्यधिक सांस फूलना (38 प्रतिशत से 30 प्रतिशत रोगियों में), सोचने समझने की शक्ति में कमजोरी(48 प्रतिशत से 38 प्रतिशत) और खराब स्वास्थ्य संबंधी जीवन की गुणवत्ता (57) प्रतिशत से 45 प्रतिशत) कम हुए.
कई अध्ययनों में लंबे कोविड वाले व्यक्तियों में लक्षणों के एक साल तक बने रहने की पुष्टि की गई है. वहीं अब लंबे समय तक रहने वाले पांच में से तीन लोगों में कम से कम एक अंग में खराबी आती है, और चार में से एक में दो या दो से अधिक लोगों में अंगों में नुकसान होता है, इसमें कुछ बिना लक्षणों के मामले भी देखने को मिले हैं.”
इस अध्ययन में 536 लंबे कोविड से पीड़ित रोगियों को शामिल किया, जिनमें से 331 (62 प्रतिशत) को उनके शुरुआती इलाज के छह महीने बाद अंग में किसी न किसी तरह का नुकसान हुआ. बता दें लंबे समय तक कोविड के लक्षण बने रहने के चलते अन्य कई तरह के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. इसमें खास तौर पर अंगों में दुर्बलता, जीवन की गुणवत्ता और दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.