मिस्र की राजधानी काहिरा में सोमवार को सेना और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के समर्थकों के बीच ऐसी खूनी झड़प हुई, जिसे मिस्रवासी शायद ही कभी भुला पाएंगे। विरोध कर रहे मुर्सी के समर्थक पर सेना ने गोलियां चलाईं, जिसमें 51 लोग मारे गए और 322 बुरी तरह से घायल।दरअसल, मुर्सी के समर्थक पिछले कई दिनों से काहिरा में सेना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे ह…
मिस्र की राजधानी काहिरा में सोमवार को सेना और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के समर्थकों के बीच ऐसी खूनी झड़प हुई, जिसे मिस्रवासी शायद ही कभी भुला पाएंगे। विरोध कर रहे मुर्सी के समर्थक पर सेना ने गोलियां चलाईं, जिसमें 51 लोग मारे गए और 322 बुरी तरह से घायल।दरअसल, मुर्सी के समर्थक पिछले कई दिनों से काहिरा में सेना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सेना ने वहां लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को अपदस्थ कर नजरबंद कर लिया है। सेना वहां जल्द ही किसी दूसरे शख्स को राष्ट्रपति की कुर्सी पर बिठाने वाली है। सोमवार को मुर्सी के समर्थका का प्रदर्शन तेज हुआ, तो सेना ने भी गोलियां चला दीं। सेना और मुर्सी समर्थकों के बीच हुई इस झड़प को ‘नरसंहार’ का नाम दिया जा रहा है, क्योंकि काहिरा की सड़कों पर सोमवार को खून ही खून दिखाई दे रहा था।संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बॉन की मून ने काहिरा में हुए इस नरसंहार पर अफसोस जाहिर करते हुए इसकी निंदा की है। इसके साथ ही उन्होंने इस हिंसा में स्वतंत्र जांच की मांग की है। बान के प्रवक्ता मार्टिन नेर्सिके ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के नेता इन हत्याओं से ‘बेहद दुखी’ हैं। मुर्सी के समर्थकों ने इन हत्याओं को ‘नरसंहार’ की संज्ञ दी है। नेर्सिके ने कहा कि महासचिव इन हत्याओं की निंदा करते हैं और इनकी पूर्ण जांच स्वतंत्र और समर्थ राष्ट्रीय संस्थाओं से कराने और हत्याओं के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को न्याय के कठघरे में खड़े किए जाने का आह्वान करते हैं। महासचिव ने सभी मिस्रवासियों से यह समझने की अपील की है कि देश इस समय जोखिम भरे मार्ग पर है और वे देश के उत्थान के लिए हर संभव प्रयास करें।