भारतीय जनता पार्टी की नजर जम्मू-कश्मीर पर है. पार्टी का नया मिशन है…किसी हिंदू को राज्य का मुख्यमंत्री बनाना. पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह निजी तौर से इस मिशन पर नजर बनाए हुए हैं. कई बीजेपी नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता इस प्लान के लिए जमीन तैयार करने में जुट गए हैं. दरअसल, हाल ही में पार्टी की एक बैठक में उन्होंने कहा, ‘मैं दूसरे राज्यों के चुनावों को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हूं. हम उन राज्यों में किसी भी हालत में जीतेंगे. मैं चाहता हूं कि पार्टी के ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ता अपना ध्यान जम्मू-कश्मीर पर लगाएं. अगर हम किसी बीजेपी नेता को जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाने में कामयाब रहे तो जरा सोचिए कि पूरी दुनिया में क्या संदेश जाएगा.’
यह है प्लान
हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में जम्मू इलाके के 37 विधानसभा क्षेत्रों में से 30 पर बीजेपी ने बढ़त हासिल की और लद्दाख के 4 विधानसभा क्षेत्रों में से 3 पर. शाह का पहला लक्ष्य यह है कि बीजेपी इन दो क्षेत्रों के कुल 41 सीटों में से ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करे. 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी जम्मू क्षेत्र के 37 सीटों में सिर्फ 11 पर जीत हासिल कर सकी थी. वहीं, कश्मीर के 46 और लद्दाख की 4 सीटों में से एक पर भी उसे जीत नहीं मिली. हालांकि लोकसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी का मनोबल बढ़ा दिया है. अगर पार्टी इस प्रदर्शन को विधानसभा चुनावों में दोहराने में कामयाब रही तो उसके खाते में कम से कम 33 सीटें आएंगी. अगर ऐसा होता है तो बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी. हालांकि, बीजेपी सिर्फ जम्मू और लद्दाख क्षेत्र तक खुद को सीमित नहीं रखना चाहते. अमित शाह की नजर घाटी के मुस्लिम बाहुल इलाकों पर भी है.
पंडितों को बीजेपी के लिए वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करना
घाटी छोड़ने से पहले इलाके में कम से कम 2.5 लाख पंजीकृत कश्मीरी पंडित थे. घाटी के 46 विधानसभा सीटों में से 8 पर उनकी अच्छी पकड़ थी. बीजेपी नेताओं और संघ कार्यकर्ताओं ने मिलकर एक कैंपेन शुरू किया है जिसका मकसद देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे कश्मीरी पंडितों को पार्टी के लिए वोट करने के लिए प्रोत्साहित करना है. इसके लिए घर-घर जाकर कैंपेन चलाया जा रहा है. जम्मू, दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा और पंजाब के कुछ इलाकों में रह रहे कश्मीरी पंडितों के पास पहुंचने का प्लान बनाया गया है.
दूसरी पार्टी के नेताओं पर भी बीजेपी की नजर
दूसरी पार्टी में कई ऐसे नेता है जिन्हें उनके इलाके में जबर्दस्त समर्थन प्राप्त है पर वह अपनी पार्टी से नाराज हैं. बीजेपी की नजर इन नेताओं पर भी है. पिछले कुछ दिनों में राज्य स्तर के कई सीनियर नेता बीजेपी में शामिल भी हुए हैं. पीडीपी के हाजी ताज मोहम्मद खान, नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता चौधरी तालिब हुसैन और पूर्व एनसी नेता मोहम्मद शफी भट्ट की बेटी हिना भट्ट का बीजेपी में शामिल होना, इसी प्लान का हिस्सा है.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा की मौजूदा स्थिति
2008 विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. उसने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाया. कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं. वहीं पीडीपी को 21 और बीजेपी को 11 सीटें मिलीं. पीओके की 24 सीटों को हटाकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 87 सीटें हैं. यानी बहुमत के लिए 44 की आंकड़ें की जरूरत होती है.