हरिद्वार। भाद्रपद मास की पूर्णिमा(सोमवार) से पितृ पक्ष प्रारंभ हो जाएंगे। मान्यता है कि 16 दिनों तक यानि आश्रि्वन मास की अमावस्या तक पितृगण पृथ्वी पर वास करेंगे। आठ सितम्बर सोमवार को पूर्णिमा का श्राद्ध कर्म किया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि श्राद्ध का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक रहस्य भी है। सोमवार आठ सितम्बर से श्राद्ध शुरू हो जाएंगे। भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश करने से इन्हें कनागत भी कहा जाता है। पूर्णिमा से आश्रि्वन मास की अमावस्या तक पृथ्वीवासी अपने पूर्वजों की सेवा कर उनके निमित यज्ञ हवन करेंगे। हालांकि, पितृ पक्ष आश्रि्वन मास की प्रतिपदा नौ सितंबर से शुरू होगा, लेकिन जिनके पूर्वजों की मृत्यु पूर्णिमा को हुई उनका सोमवार को श्राद्ध किया जाएगा।
डॉ. पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री ने बताया कि प्रतिपदा से पितृ पक्ष शुरू हो जाएगा। आने वाले दिनों में अलग-अलग तिथियों पर लोग पितृों की आत्म शांति के लिए पिंडदान व तर्पण करेंगे। पितृ पक्ष में पिंडदान व तर्पण का विशेष महत्व है, लेकिन वैज्ञानिक रहस्य भी हैं।
डॉ. पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री ने बताया कि च्योतिष गणना के आधार पर सूर्य मेष राशि के दस अशों पर परमोच्च होता है। अर्थात् पृथ्वी से बहुत दूर और ठीक 180 अंश अर्थात तुला राशि के दस अंशों पर पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होता है। पृथ्वी पर किए गए सभी यज्ञ आदि सर्व प्रथम सूर्य मंडल पर पहुंचते हैं। वहीं च्योतिषाचार्य दीप्ति श्रीकुंज ने बताया कि श्राद्ध आठ सितम्बर पूर्णिमा से शुरू हो रहे हैं तथा 24 सितम्बर पितृ विसर्जन अमावस्या तक चलेंगे।