आज आपकी ईएमआई कम हो सकती है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया दूसरी तिमाही में मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए बैठक करने जा रहा है और बैंक पर ब्याज दरें घटाने का ख़ासा दबाव है। उद्योग क्षेत्र धीमी पड़ती रफ्तार के चलते ये मांग उठा रहा है।
इस साल की पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार महज़ 2.3 फीसदी रही थी। इसी अवधि में तोक और खुदरा महंगाई दर घटने के चलते…
आज आपकी ईएमआई कम हो सकती है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया दूसरी तिमाही में मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए बैठक करने जा रहा है और बैंक पर ब्याज दरें घटाने का ख़ासा दबाव है। उद्योग क्षेत्र धीमी पड़ती रफ्तार के चलते ये मांग उठा रहा है।
इस साल की पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार महज़ 2.3 फीसदी रही थी। इसी अवधि में तोक और खुदरा महंगाई दर घटने के चलते भी इस मांग ने ज़ोर पकड़ा है। हालांकि खाद्य उत्पादों की महंगाई दर बैंक के लिए अब भी चिंता की बात है। दूसरी ओर, सरकार चाहते हैं कि सेंट्रल बैंक केश रिज़र्व रेशो यानी सीआरआर में कटौती करे।
एसबीआई के मुताबिक अगर ऐसा नहीं होता है तो रिज़र्व बैंक अपने पास जमा सीआरआर राशि पर पर ब्याज दे। बैंक के मुताबिक इसका पूरा का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए वह तैयार है।