मुंबई। मनीलांड्रिंग और धन की राउंड ट्रिपिंग पर लगाम लगाने की एक और कवायद के तहत भारत और मॉरीशस अपने टैक्स करार में बदलाव पर सहमत हुए हैं। इस बदलाव के तहत दोहरे कराधान बचाव समझौते (डीटीएए) में लिमिटेशन ऑफ बेनिफिट्स (एलओबी) क्लॉज जोड़ा जाएगा।
इस क्लॉज का इस्तेमाल ‘ट्रीटी शॉपिंग’ यानी दो देशों के बीच की संधि का किसी अन्य देश के निवेशकों द्वारा दुरुपयोग रोकने के लिए किया जाता है। एलओबी क्लॉज के तहत संधि से होने वाले लाभों को सीमित किया जाता है। डीटीएए समझौते का लाभ उठाना चाह रही कंपनी को इस क्लॉज के कारण अपने कारोबार और निवेश प्रतिबद्धताओं में कुछ शर्तो का पालन करना पड़ता है।
मॉरीशस के फाइनेंशियल सर्विसेज कमीशन (एफएससी) के चेयरमैन मार्क हेन ने कहा कि दोनों देश टैक्स संधि में लिमिटेशन ऑफ बेनिफिट क्लॉज जोड़ने के लिए सहमत हुए हैं। एफएससी मॉरीशस स्थित ग्लोबल कंपनियों और गैर बैंकिंग वित्तीय सेवा क्षेत्र का एकीकृत नियामक है। हेन ने कहा कि एलओबी क्लॉज से ऐसी कंपनियों को लाभ मिलेगा, जो मॉरीशस की टैक्स रेसीडेंट रहना चाहती हैं। संधि का दुरुपयोग रोकने के लिए पहले से तंत्र मौजूद था लेकिन नए क्लॉज से भारतीय प्रशासन की चिंताएं दूर होंगी।
भारत में अवैध धन के निवेश के लिए मॉरीशस के साथ डीटीएए संधि का दुरुपयोग किए जाने के आरोपों के चलते दोनों देश इस संधि की समीक्षा कर रहे हैं। आशंकाएं जताई जा रही थीं कि मॉरीशस के रास्ते धन की राउंड ट्रिपिंग की जा रही है।