नई बेंच करेगी सहारा मामले की सुनवाई

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नई दिल्ली। निवेशकों का पैसा नहीं लौटाने के मामले में सहारा प्रमुख सुब्रत राय को जेल भेजने का आदेश देने वाली सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ में शामिल जस्टिस जेएस केहर ने खुद को मामले से अलग कर लिया है। जबकि खंडपीठ की अध्यक्षता करने वाले जस्टिस केएस राधाकृष्णन बुधवार को रिटायर हो गए। ऐसे में सहारा समूह और राय के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई के लिए गठित होने वाली नई पीठ में तत्कालीन पीठ के दोनों जज नहीं होंगे। मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस ने नया खंडपीठ गठित किया है।

छह मई को राय और उनके दो निदेशकों को जमानत न देने का फैसला देने वाली खंडपीठ के सदस्य रहे जस्टिस केहर ने अपने फैसले से चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा को अवगत करा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश नहीं मानने और अवज्ञापूर्ण बर्ताव करने के लिए राय और समूह की कड़े शब्दों में निंदा की थी। अदालत ने कहा था कि हमने कड़ा रुख तब अपनाया जब रकम लौटाने के लिए समूह को समझाने के हमारे सारे प्रयास नाकाम हो गए। राय और समूह ने हमारे आदेशों का व्यवस्थित रूप से अनुपालन नहीं किया। तथ्यों से पता चलता है कि समूह ने सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और एसएटी (प्रतिभूति अपीलीय पंचाट) के सभी आदेशों का उल्लंघन किया। जस्टिस (सेवानिवृत्त) हो चुके राधाकृष्णन व जस्टिस केहर की पीठ ने सहारा समूह से जमानत के लिए 10 हजार करोड़ रुपये जमा कराने का नया प्रस्ताव तैयार करने को कहा था।