नई दिल्ली।। प्लानिंग कमिशन के डेप्युटी चेयरमैन मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने मंगलवार को कहा कि रुपये के लिए बुरा वक्त खत्म हो गया है और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए की फेयर वैल्यू 60-65 के बीच हो सकती है। अहलूवालिया ने बताया, ‘मैं बेशक यह कहना चाहूंगा कि रुपए का बुरा वक्त खत्म हो चुका है। यह बात मार्केट्स और गाइड पोस्ट्स से जाहिर भी हो चुकी है।’
उन्होंने कहा कि यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि एक साल पहले के मुकाबले रुपया अभी कमजोर है और असल में यह कमजोरी अनुकूल है। अहलूवालिया से जब रुपये की फेयर वैल्यू के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी वैल्यू एक डॉलर के मुकाबले 60-65 के बीच हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘…प्रतियोगितात्मकता बदलाव को खत्म करने के लिए रुपए 60-65 के बीच कहीं भी हो सकता है। हम निश्चित रूप से इस रेंज के लोअर इंड में रहना पसंद करेंगे।’
उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को करंसी में अपने एक्सपोजर की हेजिंग के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मुझे पता है कि हेजिंग की एक कॉस्ट होती है, लेकिन ज्यादा से ज्यादा कॉर्पोरेट्स को अपने फॉरेन एक्सचेंज एक्सपोजर की हेजिंग करनी चाहिए, जो कि व्यवस्थित स्थिरता लाने का काम करेगा।
‘अहलूवालिया ने कहा है कि एक्सचेंज रेट वोलैटिलिटी के पीरियड के बाद हर कोई हेजिंग शुरू कर देता है, लेकिन जब एक्सचेंज रेट स्थिर हो जाते हैं तो लोग हेजिंग की सीमा को घटा देते हैं। उन्होंने कहा, ‘मार्केट को रुपए का सही स्तर तय करने दीजिए।’ उन्होंने कहा कि एक्सचेंज रेट के अनुकूल बने रहने की जरूरत है, ताकि करेंट अकाउंट डेफिसिट को करेंट फाइनेंशियल ईयर में घटाकर 3.7 फीसदी के स्तर पर लाया जा सके, जो कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी के 4.8 फीसदी पर पहुंच गया था।
भारी कैपिटल आउटफ्लो के कारण अगस्त के आखिर में रुपया 68.85 के ऑल टाइम लो पर पहुंच गया था। लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों से करेंसी में स्थिरता आई है। मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 61.79 के स्तर पर बंद हुआ।