केंद्र सरकार ने सड़क सुरक्षा बढ़ाने के मकसद से भारतीय वाहनों के लिए नए सुरक्षा मानकों का प्रस्ताव किया है। प्रस्तावित नियमों में 1 अप्रैल, 2025 के बाद बनी सभी यात्री कारों में (एम-1 श्रेणी) में पीछे वाली सीट पर भी बैठने वालों के लिए सीट बेल्ट रिमाइंडर अनिवार्य किया गया है।
शुक्रवार को प्रकाशित मसौदा नियम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि पीछे की सीट पर बैठने वाले सभी यात्री सीट बेल्ट पहनें, जिससे दुर्घटना की स्थिति में चोट लगने का जोखिम काफी कम हो जाएगा।
ये प्रस्तावित सुरक्षा मानक केंद्रीय मोटर वाहन नियम (सीएमवीआर), 1989 के एआईएस-145-2018 का हिस्सा हैं। इसमें खास तिथियों के बाद बने वाहनों में विशिष्ट सुरक्षा सुविधाओं, जैसे सुरक्षा बेल्ट, नियंत्रण प्रणाली (रेस्ट्रेंट सिस्टम) और सुरक्षा बेल्ट रिमाइंडर के उपयोग को अनिवार्य करने की बात है।
यह कदम इसलिए सामने आ रहा है क्योंकि सड़क दुर्घटनाओं के समय में मृत्यु होने की संभावना कम करने में सीट बेल्ट की अहम भूमिका होती है। दिसंबर 2023 में जारी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) की एक रिपोर्ट ‘भारत में सड़क दुर्घटना-2022’ के मुताबिक 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में 16,715 लोगों की मृत्यु इस वजह से हुई क्योंकि उन्होंने सीट बेल्ट नहीं लगा रखी थी। इनमें 8,384 चालक और 8,331 यात्री थे।
इसके साथ ही एम-1 श्रेणी के सभी वाहनों (यात्री कार, जिसमें ड्राइवर सहित 8 लोग बैठ सकते हैं) और एल-7 (4 लोगों के बैठने के लिए डिजाइन की गई), एम-2 (अधिकतम 3.5 टन वजन के साथ 8 से ज्यादा यात्रियों को ले जाने वाली बसों) एम-3 (3.5 टन से ज्यादा वजन के साथ 8 से अधिक यात्रियों को ले जाने वाले वाली बसों) और एन (अधिकतम 3.5 टन क्षमता वाले माल ढुलाई के वाहन) श्रेणी के वाहनों में 1 अप्रैल 2025 और 1 अप्रैल, 2026 से विशेष मानक वाले सुधरी नियंत्रण प्रणाली और सेफ्टी बेल्ट असेंबली की जरूरत होगी।
केंद्रीय मोटर वाहन (दसवां संशोधन) नियम, 2024 लागू होने के बाद सभी वाहनों में सेफ्टी बेल्ट लगाना अनिवार्य होगा और इसके तय मानकों का पालन करना होगा। आईएस 16694: 2018 मानक का पालन करने के लिए भी सभी वाहनों में सेफ्टी बेल्ट और रेस्ट्रेंट सिस्टम लगाने की जरूरत होगी।
रेस्ट्रेंट सिस्टम एक सुरक्षा प्रणाली है, जिसमें वाहन की डिजाइन इस तरीके से बनाई जाती है, जिससे दुर्घटना के समय उसमें बैठे यात्रियों की गति को रोकी जा सके और उनको चोट से बचाया जा सके।
इसमें सामान्यतया सीट बेल्ट शामिल होती है, लेकिन इसमें अन्य फीचर जैसे एयरबैग, सीट बेल्ट प्रीटेंसनर्स और लोड लिमिटर्स भी शामिल हो सकते हैं।
इस व्यवस्था का मकसद दुर्घटना के समय वाहन में बैठे व्यक्ति की सीट पर सुरक्षा बढ़ाकर उनके चोटिल होने की संभावना और उनके शरीर पर लगने वाले झटके को कम करना है।