सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ऐप्स अब सिर्फ यंगस्टर्स के संपर्क का जरिया और एंटरटेनमेंट का साधन नहीं रह गया है, अब ब्लैकबेरी मैसेंजसर और व्हाट्सएप जैसी मैसेजिंग सर्विसेज का इस्तेमाल शेयरों के अप-डाउन में भी होने लगा है।
व्हाट्एप, ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया में शेयर मार्केट की काफी जानकारी का आदान-प्रदान हो रहा है, जिससे मार्केट पर काफी प्रभ…
सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ऐप्स अब सिर्फ यंगस्टर्स के संपर्क का जरिया और एंटरटेनमेंट का साधन नहीं रह गया है, अब ब्लैकबेरी मैसेंजसर और व्हाट्सएप जैसी मैसेजिंग सर्विसेज का इस्तेमाल शेयरों के अप-डाउन में भी होने लगा है।
व्हाट्एप, ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया में शेयर मार्केट की काफी जानकारी का आदान-प्रदान हो रहा है, जिससे मार्केट पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। अब इससे जुड़ी खबरों पर नजर रखने का काम सेबी ने शुरू कर दिया है। हालांकि सोशल मीडिया पर इसे ट्रैक करना आसान है, लेकिन सेबी को बीबीएम और व्हाट्सएप की खबरों के सोर्स पता करना एक चैलेंज होगा।
हाल के कुछ महीनों में सेबी को मैसेंजर एप्स के जरिए इनसाइडर ट्रेडिंग के कुछ मामलों की जानकारी मिली है, लेकिन इनका सोर्स पता करने का रास्ता नहीं मिल पा रहा है। इसे पकड़ने के लिए सेबी ने आईटी एक्सपर्ट्स की एक टीम बनाई है। जल्द ही एक्सपर्ट्स मैसेंजर एप्स के सोर्स का पता लगाने का कोई जरिया ढूंढ लेंगे।
दरअसल, नई पीढ़ी की इन मोबाइल सेवाओं के खतरों से बाजार नियामक काफी परेशान है। इसीलिए शेयर बाजार में होने वाले सौदों की जांच और निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सेबी ने सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों और सॉफ्टवेयरों की मदद लेना शुरू कर दिया है। इनकी मदद से नियामक ट्विटर और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स के दुरुपयोग की निगरानी कर रहा है।