‘हर साल 13,300 करोड़ की फल-सब्जियां बरबाद’

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फ्रूट्स और वेजिटेबल्स प्रॉडक्शन के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है, लेकिन यहां हर साल 13,300 करोड़ रुपये के फ्रेश प्रॉडक्ट्स बर्बाद हो जाते हैं। देश मेंकोल्ड स्टोरेज फैसिलिटीज और रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्ट की कमी के चलते ऐसा होता है।

अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी कंपनी इमर्सन की इकाई इमर्सन क्लाइमेट टेक्नोलॉजीज इंडिया की नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। देश की कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरतों को देखते हुए इमर्सन क्लाइमेट टेक्नोलॉजीज ने चाकन में पहला कोल्ड चेन और डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर बनाया है। इसके जरिए वह इंडस्ट्री के लिए देश में मौजूद टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस और सर्विसेज के बारे में अवेयरनेस बढ़ाएगी।

इमर्सन फूड वेस्टेज एंड कोल्ड स्टोरेज रिपोर्ट में स्टडीज का हवाला देते हुए कहा गया है कि इंडिया में फ्रूट्स, वेजिटेबल्स और ग्रेन्स की बर्बादी सालाना करीब 44,000 करोड़ रुपये की है। फ्रूट्स एंड वेजिटेबल की इस बर्बादी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी है।

देश के फ्रूट और वेजिटेबल प्रॉडक्शन का करीब 18 फीसदी हिस्सा हर साल बर्बाद हो जाता है। इसकी वैल्यू करीब 13,300 करोड़ रुपये है। फलों और सब्जियों के खराब होने की बड़ी वजह रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम और हाई क्वॉलिटी कोल्ड स्टोरेज फैसिलिटीज की कमी है। इमर्सन की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि जब तक कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार नहीं होगा, तब तक देश के सामने यह प्रॉब्लम बनी रहेगी। रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोल्ड स्टोरेज की संख्या नहीं बढ़ती और क्वॉलिटी में सुधार नहीं होता, तो यह समस्या और बड़ी हो सकती है।

अभी देश में 6,300 कोल्ड स्टोरेज फैसिलिटीज हैं। इनकी इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 3.011 करोड़ टन है। स्टडीज से पता चला है कि ये कोल्ड स्टोरेज इंडिया की कुल जरूरत का आधा हिस्सा ही पूरा कर पा रहे हैं। देश में सभी फूड प्रॉडक्ट्स के लिए कोल्ड स्टोरेज कैपेसिटी 6.1 करोड़ टन से ज्यादा होनी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस टारगेट तक पहुंचने के लिए 2015-16 तक 55,000 करोड़ रुपये के इनवेस्टमेंट की जरूरत होगी, तभी फलों और सब्जियों की बढ़ती पैदावार को देश में कोल्ड स्टोरेज फैसिलिटीज का सपोर्ट मिल पाएगा।

इंडिया, मिडल ईस्ट और अफ्रीका रीजन के लिए इमर्सन के प्रेसिडेंट प्रदीप्त सेन ने कहा, ‘इस दिशा में प्रोग्रेस हो रही है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि देश में कोल्ड स्टोरेज की हालत आशंका से कहीं ज्यादा खराब है। इंडिया में 1.2 अरब लोग रहते हैं। ऐसे में फलों और सब्जियों के बेहतर इस्तेमाल और इन्हें बर्बादी से बचाना सबके हित में है।’ इमर्सन क्लाइमेट टेक्नोलॉजीज की रिपोर्ट में कोल्ड स्टोरेज फैसिलिटीज और रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्ट पर इनवेस्टमेंट की जरूरत पर जोर देते हुए देश में कोल्ड स्टोरेज इंडस्ट्री के सामने मौजूद चुनौतियों पर भी चर्चा की गई है।