सरकारी क्षेत्र की दूर संचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) पर मंडराते खतरे के बीच केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) अहमदाबाद और अमेरिकी अकाउंटिंग फर्म मेसर्स Deloitte की सेवाएं ले रहा है और BSNL और MTNL के रिस्ट्रक्चरिंग और रिवाइवल के लिए प्लान तैयार कर रहा है. लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सांसद रमा देवी, राजीव प्रताव रूड़ी, फारूक अब्दुल्ला और कुछ अन्य नेताओं के पूरक सवालों का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इन कंपनियों की सिफारिशों और बोर्ड से मंजूरी के बाद BSNL और महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड (MTNL) को घाटे से उबारने के लिए एक व्यापक रिवाइवल प्लान तैयार किया जा रहा है.
BSNL और MTNL जबर्दस्त संकट के दौर से गुजर रहे हैं. इन कंपनियों की हालत इतनी खराब हो गई है कि इनके पास सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं. देश की कई पार्टियों ने इन कंपनियों की सेहत पर चिंता जताई है. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि टेलिकॉम मार्केट में जबर्दस्त कॉम्पीटिशन के बीच BSNL को निजी कंपनियों के मुकाबले बराबरी का मौका नहीं दिया गया. बता दें कि BSNL इस वक्त 4जी सेवाएं नहीं देता है. इसकी वजह से इस कंपनी से लाखों ग्राहक दूर हैं. रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में कहा, “जब 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन हो रहा था तो उस समय पब्लिक सेंटर की कंपनियां शामिल नहीं थीं, क्योंकि इससे संदेश जाता कि सरकार पीएसयू को सपोर्ट कर रही है और दूसरी कंपनियों को बराबरी का मौका नहीं मिल रहा है, लेकिन अब मार्केट और कॉम्पीटिशन की जरूरतों के बाद हम 4जी के बारे में सोच सकते हैं.”
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि BSNL और MTNL का कर्मचारियों का वेतन का खर्च निजी कंपनियों के मुकाबले कई गुणा ज्यादा है. उन्होंने कहा कि बीएसएनएल की स्टाफ लागत कुल आय का 75.06 प्रतिशत है और एमटीएनएल के लिए आंकड़ा 87.15 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों की एम्पलॉयी लागत 2 से 5 प्रतिशत के बीच है.
केंद्रीय मंत्री ने संसद में एक लिखित जवाब में कहा, “मोबाइल सेगमेंट में कड़ी प्रतियोगिता से BSNL और MTNL की मुश्किलें बढ़ी हैं, इसके अलावा ऊंची एम्पलॉयी लागत और 4जी सेवाओं की कमी की वजह से भी डेटा केंद्रित बाजार में इन सरकारी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी सरकारी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों का स्वस्थ रहना देशहित में है तथा सरकार इनकी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए पूरे प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में निजी कंपनियों के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ी है.