ऐसी फिल्म नहीं बनानी जिसके लिए पछताना पड़े: मीरा नायर

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सलाम बाम्बे, मॉनसून वेडिंग और द नेमसेक जैसी अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिल्मों की निर्देशक मीरा नायर का कहना है कि उन्होंने अपने करियर में इस बात का पूरा रखने की कोशिश की कि वह ऐसी फिल्म न बनाएं जिसके लिए उन्हें बाद में पछताना पड़े।भारतीय कहानियों को पश्चिमी देशों के दर्शकों के सामने पेश करने वाली मीरा हॉलीवुड की सफलतम भारतीय-अमेरिकी निर्देशकों म… ऐसी फिल्म नहीं बनानी जिसके लिए पछताना पड़े: मीरा नायर

सलाम बाम्बे, मॉनसून वेडिंग और द नेमसेक जैसी अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिल्मों की निर्देशक मीरा नायर का कहना है कि उन्होंने अपने करियर में इस बात का पूरा रखने की कोशिश की कि वह ऐसी फिल्म न बनाएं जिसके लिए उन्हें बाद में पछताना पड़े।भारतीय कहानियों को पश्चिमी देशों के दर्शकों के सामने पेश करने वाली मीरा हॉलीवुड की सफलतम भारतीय-अमेरिकी निर्देशकों में से एक हैं। उन्हौंने मिसीसिपी मसाला, वेनिटी फेयर और अमेलिया जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है।अपनी पहली फिल्म सलाम बाम्बे की 25वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भारत आईं 55 वर्षीय इस निर्देशक ने कहा कि उन्होंने रूढीवाद को चुनौती देने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, ‘मैं जो एक काम कभी नहीं करना चाहती, वह है अपनी फिल्मों के लिए पछताना। मैं अपनी फिल्मों में उत्कृष्टता का ऐसे मापदंड चाहती हूं जिसे कोई भी मात न दे सके।’मीरा ने बताया, ‘पश्चिमी देशों के लोग भारतीय फिल्मों को कभी नहीं देखते और हमने जब शेष दुनिया की फिल्म देखी तो गुणवत्ता के लिहाज़ से वे सभी बहुत खराब थीं। मैं अपनी फिल्मों में कभी ऐसा नहीं चाहती थी। मैं सर्वश्रेष्ठ फिल्में बनाना चाहती थी।’सलाम बाम्बे 22 मार्च को पीवीआर में दोबारा रिलीज़ की जाएगी। इस फिल्म ने प्रतिष्ठित गोल्डन कैमरा पुरस्कार और 1989 में केन फिल्मोत्सव में आडियंस अवार्ड के साथ कई पुरस्कार जीते। इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म की श्रेणी में आस्कर में भी नामांकन मिला था। मीरा ने कहा, ‘मैं आज वाकई बहुत खुश हूं क्योंकि इस फिल्म को 25 वर्ष हो गए हैं और हमने इसका नया डिजि़टल प्रिंट तैयार किया है। इस फिल्म में उर्जा और सुंदरता का मिश्रण है। यह पूरी तरह आधुनिक फिल्म है।’