‘मोगैम्बो खुश हुआ’ कह कर राज किया अमरीश पुरी ने

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भारतीया सिनेमा को 100 साल हो चुके हैं और न जाने कितने विलयन आए और गए पर किसी विलयन ने आपनी सबसे ज्यादा छाप छोड़ी तो वह हैं अमरीश पुरी।  जी हां..अमरीश पुरी भारतीय सिनेमा में हिरो बनने आए थे पर हिरो नहीं बन पाए और बनगए खलनायक।

और खलनायक भी ऐसे  जो हर हिरो के सामने बहुत दमदार साबित हुआ। और फिर क्या था अपनी कडक आवाज़, दमदार अभिनय से खलनायक की दुनिया को…

'मोगैम्बो खुश हुआ' कह कर राज किया अमरीश पुरी ने

भारतीया सिनेमा को 100 साल हो चुके हैं और न जाने कितने विलयन आए और गए पर किसी विलयन ने आपनी सबसे ज्यादा छाप छोड़ी तो वह हैं अमरीश पुरी।  जी हां..अमरीश पुरी भारतीय सिनेमा में हिरो बनने आए थे पर हिरो नहीं बन पाए और बनगए खलनायक।

और खलनायक भी ऐसे  जो हर हिरो के सामने बहुत दमदार साबित हुआ। और फिर क्या था अपनी कडक आवाज़, दमदार अभिनय से खलनायक की दुनिया को नई पहचान दी।

पंजाब के नौशेरा गांव में 22 जून 1932 में जन्में अमरीश पुरी ने अपने करियर की शरूआत श्रम मंत्रालय में नौकरी से की और उसके साथ-साथ सत्यदेव दुबे के नाटकों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। बाद में वह पृथ्वी राज कपूर के ‘पृथ्वी थियेटर’ में बतौर कलाकार अपनी पहचान बनाने में सफल हुए।

भारतीय सिनेमा के सबसे दमदार खलनायक अमरिश पुरी की शुरूआत 1971 फिल्म रेशमा और शेरा से अपने करिअर की शुरूआत की, लेकिन इस फिल्म से वे दर्शकों को कुछ खास प्रभाव नहीं कर पाए। फिर न्होंने ‘निंशात’, ‘मंथन’, ‘कलयुग’ और ‘मंडी’ जैसी फिल्मों में काम किया। इन फिल्मों में उन्होंने नसीरूदीन शाह, स्मिता पाटिल और शबाना आज़मी जैसे कलाकारों के साथ काम किया और अपनी अदाकारी का जौहर दिखाकर अपना सिक्का ज़माने में कामयाब रहे।  अजी फिर क्या था चल पड़ी इनकी गाड़ी।

शेखर कपूर ने अपनी फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में अमरीश पुरी का चुनाव किया जो फिल्म की सफलता के बाद सही साबित हुआ। इस फिल्म मे अमरीश पुरी द्वारा निभाये गए किरदार का नाम था ‘मौगैम्बो’ और यही नाम  इस फिल्म के बाद उनकी पहचान बन गया।

अजी बॉलीवुड ही नहीं पुरा हॉलीवुड भी इनका कायल रहा था। जहां भारतीय मूल के कलाकार को विदेशी फिल्मों में काम करने की जगह नहीं मिल पाती है मन की मन में रह जाती थी। वही अमरीश पुरी ने स्टीफन स्पीलबर्ग की मशहूर फिल्म ‘इंडिना जोंस एंड द टेंपल ऑफ डूम’ में खलनायक के रूप में काली के भकत का किरदार निभाया। इसके लिए उन्हें अंतराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुई। इस फिल्म के पश्चात उन्हें हॉलीवुड सेकई प्रस्ताव मिले जिन्हे उन्होनें स्वीकार नहीं किया कयोंकि उनका मानना था कि हॉलीवुड में भारतीय मूल के कलाकारों को नीचा दिखाया जाता है।  

वर्ष 1995 मे प्रदर्शित यश चोपड़ा की सुपरहिट फिल्म ‘दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगें’ में उन्होनें फिल्म अभिनेत्री काजोल के पिता की रौबदार भूमिका निभायी जिसे दर्शकों ने खूब सहराया।

अमरीश पुरी अपने करियर के आखिरी सालों में चरित्र भूमिकाएं करने लगे और परदेस, ताल और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। और 12 जनवरी 2005 को वे हमें छोड़कर चले गए।