पुदीने के भीतर ऐसा सेल्फ डिफेंस मैकेनिज्म है, जो हैवी मेटल संग क्रिया करता है तो उसकी एंटी ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी बढ़ जाती है।
बीमारियों से लड़ने में मददगार
ऐसे में पुदीने का सेवन न केवल शरीर पर हैवी मेटल के दुष्प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकता है, बल्कि कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में मददगार भी।
यह निष्कर्ष है, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) से एमएससी करने वाली कोटद्वार की छात्रा तारा पोखरियाल का। तारा ने केमिकल साल्वेंट के दो जंगली पुदीने के पौधों पर प्रयोग कर यह नतीजा निकाला है।
उनके मुताबिक जिस पौधे में हैवी मेटल ज्यादा था, उसकी सक्रियता बढ़ गई और पौधे की एंटी आक्सीडेंट प्रापर्टी में बढ़ोत्तरी दिखी। इससे साफ है कि हैवी मेटल से लड़ने में पौधा विशेष सहायक है।
यूएसए से ही डाक्टरेट का इरादा
तारा पोखरियाल को आने वाली 28 से 30 जुलाई तक यूएसए के कैलिफोर्निया में प्रस्तावित एक सेमिनार में प्रतिभाग करने का बुलावा आया है। इसमें वह अपना पुदीने पर आधारित यही पेपर पेश करने वाली हैं।
बकौल तारा अगर वहां किसी वैज्ञानिक को उनका यह रिसर्च पसंद आ गया तो तस्वीर बदल सकती है। वह व्यावसायिक लेवल पर पुदीने के सदुपयोग को आगे बढ़ाने का काम कर सकेंगी। उन्हें उम्मीद है कि यूएसए की ही किसी यूनिवर्सिटी से उन्हें डाक्टरेट करने में मदद मिल सकेगी।
पिता ने तीनों बहनों को आगे बढ़ाया
22 वर्षीय तारा ने 12वीं लखनऊ पब्लिक स्कूल, लखनऊ की, जबकि इससे पहले 10वीं की कक्षा एसजीआरआर पब्लिक स्कूल रुड़की से पास की। तीन बहनों में तारा सबसे छोटी हैं।
बड़ी बहन निशिता कुलाश्री अहमदाबाद में साफ्ट स्किल ट्रेनर हैं, जबकि एक अन्य बहन पुष्पा पोखरियाल गुड़गांव की एक फैशन डिजाइनिंग और मर्केंडाइजिंग फर्म में कार्य कर रही हैं।
बकौल तारा पिता लोकमणि पोखरियाल और राजेश्वरी पोखरियाल ने आर्थिक स्थिति बेहतर न होने के बावजूद तीनों बहनों को आगे बढ़ाया, जो बेहद प्रेरणास्पद है। यह काशीरामपुर मल्ला के रहने वाले हैं।