नई दिल्ली: नई दिल्ली: सीमा पार बैठे दुश्मनों की अब खैर नहीं, भारतीय तटरक्षक बल ने अपनी सेना में अत्याधुनिक स्वदेशी प्रणाली विकसित की है। अब दुश्मन हम पर आंख उठाकर नहीं देख सकते।
सरकार ने भारतीय तटरक्षक बल के लिए 6 स्वदेशी बहुउद्देशीय निगरानी विमानों और सेना के लिए डेढ़ हजार परमाणु , जैव और रासायनिक रक्षा प्रणालियों सहित 7100 करोड़ रुपए के रक्षा सौदों को आज मंजूरी दे दी।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में यहां हुई रक्षा खरीद परिषद की बैठक में इसके साथ ही सेना तथा वायु सेना के लिए अत्याधुनिक थ्री डी रडार और वायु सेना के लिए एक भारी परिवहन विमान सी -17 ग्लोबमास्टर की खरीद को भी मंजूरी दी गई। वायु सेना के पास पहले से ही दस ग्लोबमास्टर विमान हैं।
रक्षा सूत्रों के अनुसार बैठक में बहुप्रतिक्षित रक्षा खरीद नीति के सामरिक भागीदार मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। इसके अलावा बैठक में मौजूदा रक्षा परियोजनाओं की भी समीक्षा की गई।
रक्षा सूत्रों के अनुसार इन सभी सौदों को आवश्यकता के अनुसार खरीद के आधार पर मंजूरी दी गई है। भारतीय तटरक्षक बल की समुद्री निगरानी क्षमता को बढाने के लिए 5500 करोड़ रुपए की लागत से देश में ही निर्मित 6 बहुउद्देशीय अत्याधुनिक निगरानी विमानों की खरीद को मंजूरी दी गई है। इन विमानों का विकास तथा डिजायन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा किया जाएगा।
बैठक में सेना के लिए 1265 करोड़ रुपये की लागत से देश में ही निर्मित डेढ़ हजार अत्याधुनिक परमाणु , जैव और रसायनिक हथियार रक्षा प्रणालियों की खरीद को भी मंजूरी दी गई है। सेना के युद्धक वाहनों पर लगाई जाने वाली यह प्रणाली रक्षा क्षेत्र के उपक्रम भारत इलैक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बीईएल)द्वारा विकसित की जाएगी।
सेना और वायु सेना के लिए 419 करोड़ रुपए की लागत से 55 हल्के अत्याधुनिक रडारों की खरीद को भी मंजूरी दी गई। डीआरडीओ इन रडारों का डिजायन तैयार करेगा और इन्हें भी बीईएल द्वारा बनाया जाएगा। इसके अलावा वायु सेना की सामरिक मालवाहक क्षमता बढाने के लिए एक और भारी भरकम सी-17 ग्लोबमास्टर विमान की खरीद को भी हरी झंडी दिखाई गई। वायु सेना के पास पहले से ही 10 ग्लोबमास्टर विमान हैं। ग्लोबमास्टर दुनिया का सबसे विशाल मालवाहक विमान है और भारत ने यह अमेरिका से खरीदा है।