उत्तराखंड: कुदरत के कहर के बाद बचाव कार्य जारी

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उत्तराखंड में बाढ़ से हालात अब भी गंभीर बने हुए हैं। फिलहाल मरने वालों की तादाद डेढ़ सौ से ऊपर बताई जा रही है। सरकार के मुताबिक अभी तक सिर्फ 10 हज़ार लोगों का रेस्कयू हो सका है और 62 हज़ार लोग अब भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे हुए हैं। कई इलाकों में राहतकर्मियों का पहुंचना अब भी मुमकिन नहीं हो पाया है।

गंगोत्री रूट पर 2800 से ज़्यादा लोग फंसे हैं।…

उत्तराखंड: कुदरत के कहर के बाद बचाव कार्य जारी

उत्तराखंड में बाढ़ से हालात अब भी गंभीर बने हुए हैं। फिलहाल मरने वालों की तादाद डेढ़ सौ से ऊपर बताई जा रही है। सरकार के मुताबिक अभी तक सिर्फ 10 हज़ार लोगों का रेस्कयू हो सका है और 62 हज़ार लोग अब भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे हुए हैं। कई इलाकों में राहतकर्मियों का पहुंचना अब भी मुमकिन नहीं हो पाया है।

गंगोत्री रूट पर 2800 से ज़्यादा लोग फंसे हैं। केदारघाटी में करीब 5500 लोग और बद्रीनाथ में करीब 15 हज़ार लोग फंसे हैं। हेमकुंड में भी ढाई हज़ार से ज़्यादा लोग फंसे हैं। जोशीमठ और श्रीनगर के बीच का रास्ता शुरू हो गया है। आज शाम तक ऋषिकेश तक का रास्ता साफ होने की उम्मीद जताई जा रही है। राहत की बात ये है कि आज राज्य में मौसम का मिजाज़ थोड़ा सुधरा है लिहाज़ा राहत के काम में तेज़ी की उम्मीद है। सेना के 5500, आईटीबीपी के करीब 2 हज़ार और सीमा सड़क संगठन के करीब 3 हज़ार जवान हालात को सामान्य बनाने के लिए दिन रात जुटे हैं। इस काम में सेना के 22 हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है।

देवभूमि उत्तराखंड में बरपे कहर के बाद अब राहत कार्य जारी है। सेना जगह-जगह फंसे यात्रियों को निकालने की कोशिश में जुटी हुई है हालांकि भूस्खलन की वजह से सड़कें बंद हैं जिससे कई बचावकार्य में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तराखंड में कुदरत के कहर से चारों ओर बर्बादी का नजारा है। लोग मदद की आस में जिंदगी की जंग लड़ने पर मजबूर हैं। कुछ ऐसी ही तस्वीर आई है उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग से। तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि कैसे एक इंसान कुदरत के कहर के बीच फंस गया है। तस्वीरें आईं है रूद्रप्रयाग में बहने वाली अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के संगम तट से यहां किनारे पर बने एक मंदिर में वहां का पुजारी पिछले 5 दिनों से फंसा हुआ है। पुजारी मदद के लिए बचाव टीम के साथ साथ भगवान से उम्मीद लगाए बैठा है। हालांकि अभी तक उस तक मदद नहीं पहुंच सकी है।

अलकनंदा और मंदागिनी के संगम पर मौजूद चामुंडा मन्दिर को भी कुदरत के कहर ने नहीं बख्शा है। मन्दिर में मौजूद पुजारी को बचाने के लिए प्रयास किये जा रहे है लेकिन पानी के तेज बहाव के चलते अभी तक उस तक मदद पहुंचाने के सभी प्रयास नाकाम रहे हैं।

उत्तराखंड में कुदरत का कहर बस्तूर जारी है। बारिश, बाढ़ और भुस्खलन यहां भारी तबाही मचा रही है। बारिश-बाढ़ के बीच हो रहे भुस्खलन में हजारों घर जमींदोज हो गए हैं।