उच्चतम न्यायालय ने विवादास्पद कुडनकुलम परमाणु संयंत्र को शुरू करने के मार्ग की बाधाओं को दूर करते हुए कहा कि इसमें सुरक्षा की तमाम अनिवार्यताओं का ध्यान रखा गया है और यह परियोजना व्यापक जनहित में है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि विशेषज्ञों ने सर्वसम्मति से इस परियोजना को लेकर जनता की सुरक्षा के प्रति व्याप्त आशंका और पर्यावरण की चिंताओं को दूर कर दिया है।…
उच्चतम न्यायालय ने विवादास्पद कुडनकुलम परमाणु संयंत्र को शुरू करने के मार्ग की बाधाओं को दूर करते हुए कहा कि इसमें सुरक्षा की तमाम अनिवार्यताओं का ध्यान रखा गया है और यह परियोजना व्यापक जनहित में है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि विशेषज्ञों ने सर्वसम्मति से इस परियोजना को लेकर जनता की सुरक्षा के प्रति व्याप्त आशंका और पर्यावरण की चिंताओं को दूर कर दिया है।
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि कुडनकुलम संयंत्र निरापद और सुरक्षित है और व्यापक जनहित तथा देश के आर्थिक विकास के लिए यह आवश्यक है।
न्यायाधीशों ने कहा कि देश की वर्तमान और भावी पीढ़ी तथा सस्ती उर्जा उपलब्ध कराने के लिये परमाणु उर्जा संयंत्रों की आवश्यकता है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि संबंधित प्राधिकारियों से आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद ही इस संयंत्र को चालू किया जायेगा। न्यायालय ने परमाणु संयत्र चालू करने, इसकी सुरक्षा और पर्यावरण मुद्दों के बारे मे 15 सूत्री दिशा निर्देश दिये हैं।
न्यायाधीशों ने कहा कि यह परियोजना जन कल्याण के लिए है और जनता की छोटी मोटी असुविधाओं का आकलन करते समय व्यापक जनहित की अवधारणा का भी आकलन करना चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि छोटी मोटी असुविधा और समस्या को परमाणु उर्जा संयंत्र के दीर्घकालीन लाभों को प्रभावित करनी ही अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
यही नहीं, संबंधित प्राधिकारी इसकी सुरक्षा और हिफाजत के प्रति गंभीर हैं जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि सुरक्षा के 17 में से 12 उपायों पर पहले ही अमल किया जा चुका है।
केन्द्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के साथ ही न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन तथा दूसरी नियामक संस्थायें नियमित रूप से इस संयंत्र की निगरानी करते हैं।