केजरीवाल के आह्वान के बाद हजारों ने नहीं चुकाए बिजली बिल

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 ईमानदारी से नियमित तौर पर अपने बिजली के बिल चुकाने वाले सूबे के लाखों उपभोक्ता खुद को भले ठगा हुआ महसूस करें लेकिन यह सच है कि राज्य सरकार उन 22 हजार लोगों के बिल माफ कर देगी जिन्होंने आम आदमी पार्टी के आह्वान पर पिछले 14 महीने से बिजली के बिल नहीं चुकाए हैं। इतना ही नहीं बिल न चुकाने के मामले में जिन उपभोक्ताओं के खिलाफ निजी बिजली कंपनियों ने मुकदमे दर्ज करा दिए थे, सरकार उन मुकदमों को भी वापस ले लेगी।

उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल की बृहस्पतिवार को हो रही बैठक में ऊर्जा विभाग द्वारा इस संबंध में प्रस्ताव पेश किए जाने की पूरी संभावना है और इसका पारित होना भी लगभग तय है। ऐसा इसलिए क्योंकि खुद मुख्यमंत्री के कार्यालय ने ऊर्जा विभाग को लिखा है कि वह बिल नहीं चुकाने वाले उपभोक्ताओं को छूट देने संबंधी प्रस्ताव जल्दी से जल्दी तैयार कर मंत्रिमंडल के समक्ष पेश करे।

आपको बता दें कि निजी बिजली कंपनियों द्वारा अनाप-शनाप बिजली बिल भेजे जाने के खिलाफ केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी ने एक अभियान चलाया था। इसमें उपभोक्ताओं से अपील की गई थी कि यदि उनके बिल गलत हों तो वे बिल चुकाना बंद कर दें। इतना ही नहीं निजी बिजली कंपनियों ने बिल नहीं चुकाने पर जिन उपभोक्ताओं के कनेक्शन काट दिए थे, उनके कनेक्शन जोड़ने के लिए केजरीवाल खुद ही बिजली के खंबों पर चढ़ गए थे।

महत्वपूर्ण है कि पार्टी से निष्कासित लक्ष्मीनगर के विधायक विनोद कुमार बिन्नी ने पिछले दिनों सरकार से मांग की थी कि इसी सरकार से ताल्लुक रखने वाले नेताओं के कहने पर जिन उपभोक्ताओं ने बिजली के बिल नहीं चुकाए थे, वे अब भी इस इंतजार में हैं कि उनके बिली के बिल माफ किए जाएं। लिहाजा, सरकार को उनके बिल माफ करने का फैसला जल्द से जल्द करना चाहिए। खुद आम आदमी पार्टी के भीतर भी इस आशय की मांग की जा रही थी। समझा जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर दिल्ली सरकार के इस फैसले के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

* अक्टूबर 2012 से दिसंबर 2013 तक 22 हजार लोगों ने नहीं दिया था बिल

* इनको माफी देने पर सरकार पर 13 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा

बिल न चुकाने पर 50 के करीब उपभोक्ताओं पर दर्ज हुए थे चोरी के मुकदमे

लाइसेंस रद करने पर लगाई रोक

बिजली मामलों के अपीलीय टिब्यूनल ने डीईआरसी (दिल्ली बिजली नियामक आयोग) से कहा है कि उससे पूछे बिना बिजली कंपनियों का लाइसेंस रद न किया जाए। टिब्यूनल ने यह निर्देश बुधवार को बीएसईएस द्वारा पिछले साल दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। बीएसईएस के अधिकारियों ने टिब्यूनल को बताया कि उनके पास पैसे नहीं हैं, इसके चलते एनटीपीसी ने उन्हें बिजली देने से इन्कार कर दिया है। वहीं दिल्ली सरकार ने चेतावनी दी है कि यदि बिजली कटौती हुई तो उसका लाइसेंस रद कर दिया जाएगा।

केंद्र सरकार ने आसान की बिजली सब्सिडी की राह

बिजली सब्सिडी देने के मामले में सांसत में फंसी दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार ने भारी राहत दे दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केजरीवाल सरकार द्वारा मंजूरी के लिए भेजी गई उस फाइल पर मुहर लगा दी है, जिसमें राजधानी में बिजली की कीमतों में 50 फीसद की कटौती के लिए निजी बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनियों को करीब 372 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की बात कही गई है। हालांकि सरकचरच्कच् उच्चाधिकारी अब भी इस सवाल का जवाब नहीं दे रहे कि आखिर सरकार ने किस मद का पैसा सब्सिडी के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया है।

बता दें कि अपना चुनावी वायदा निभाते हुए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली की हुकूमत संभालते ही यह आदेश कर दिया कि प्रतिमाह 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं के लिए बिजली की कीमतें आधी कर दी जाएंगी। ऐसा करने के लिए सरकार ने सब्सिडी देने का फैसला किया। दिलचस्प यह है कि सरकार ने निजी बिजली कंपनियों को सब्सिडी देने का फैसला तो कर लिया लेकिन बजट में इसका कोई प्रावधान नच्ीं चच्

उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि पहली जनवरी से 31 मार्च 2014 तक, तीन महीनों के लिए सब्सिडी की यह रकम करीब 372 करोड़ रुपये आंकी गई। यह पैसा निजी बिजली कंपनियों को तभी दिया जा सकता था जब विधानसभा इसके लिए सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले संशोधित बजट अनुमानों को मंजूरी दे दे।

सूत्रों ने बताया कि विधानसभा से मंजूरी हासिल करने से पहले इस प्रस्ताव पर उपराज्यपाल और उसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी जरूरी थी। उपराज्यपाल ने तो सरकार के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। लेकिन केंद्र सरकार से लगातार तल्ख होते जा रहे रिश्तों और रोज बढ़ रहे टकराव के मद्देनजर सूबे की सरकार के रणनीतिकारों को डर सता रहा था कि यदि केंद्र ने 16 फरवरी तक इस प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगाई तो राजधानी में बिजली आपूर्ति को लेकर गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।

डीटीयू तेज चलने वाले मीटरों की करेगी जांच

निजी बिजली कंपनियों से जारी अपने टकराव में एक नया आयाम जोड़ते हुए सूबे की सरकार ने तेज चलने वाले बिजली के मीटरों की जांच कराने की कवायद तेज कर दी है। सरकार ने उपभोक्ताओं को सलाह दी है कि यदि उनके मीटर तेज चलते हैं, तो वे अपने जिले के एसडीएम से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक इसकी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। बताया जा रहा है कि शुरुआत में ऐसे पांच हजार मीटरों की जांच की जाएगी। जांच की इस कवायद पर 1.18 करोड़ रुपये तक का खर्च आने का अनुमान है। सूत्रों ने बताया कि तेज चलने वाले मीटरों की जांच का काम दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीटीयू) को सौंपा गया है।

अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पहले ही इस संबंध में आदेश कर दिए हैं। यदि इस जांच में ऐसा पाया गया कि तेज चलने वाले मीटरों की संख्या ज्यादा है तो सरकार अभियान चलाएगी। डीटीयू से कहा गया है कि वह विशेषज्ञों की टीम उपलब्ध कराए। वहीं जांच के उपकरण सरकार खरीदेगी। बाजार में ऐसे उपकरण उपलब्ध हैं, जिनसे मीटरों की गुणवत्ता ठीक-ठीक जांची जा सकती है।