नई दिल्ली: अपने कार्यकाल के आखिरी साल में दाखिल हो चुकी यूपीए को महँगाई, व्याप्त भ्रष्टाचार, वित्तीय संकट और बड़े फैसले लेने में असमर्थता की कीमत चुकानी पड़ रही है.
एबीपी न्यूज़-नीलसन सर्वे के मुताबिक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए सरकार धीरे-धीरे अपनी ज़मीन खोती जा रही है.
सर्वे के मुताबिक अगर आज चुनाव हुए तो 543 सीटों वाली लोकसभा में यूपीए महज़ 136 सीटें ही जीत पाएगी, जबकि 2009 के लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस ने अकेले ही 206 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
यूपीए की इस हार का फायदा एनडीए को मिलता दिखाई तो दे रहा है, लेकिन उसके पक्ष में ऐसी लहर नहीं है कि वह सत्ता की सीढ़ी पर आसानी से चढ़ जाए.
एबीपी न्यूज़-नीलसन सर्वे के मुताबिक अगर अभी चुनाव हुए तो बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए 206 सीटें जीतेगी, लेकिन बहुमत के जादुई आंकड़े से 66 सीटें कम ही मिलेंगी. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी अकेले 116 सीटें जीत पाई थी.
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बहुत ही खराब प्रदर्शन करने वाली लेफ्ट पार्टियों का हाल भी बहुत अच्छा नहीं होगा. अभी चुनाव हुए तो उन्हें 34 सीटें ही मिलेंगी, जबकि पिछले लोकसभा में इन पार्टियों ने 24 सीटें जीती थीं.
सर्वे की दिलचस्प बात यह है कि अगर अभी चुनाव हुए तो गैर यूपीए और गैर एनडीए पार्टियां सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाएंगे. एबीपी न्यूज़-नीलसन सर्वे के मुताबिक गैर यूपीए और गैर एनडीए दलों के साथ निर्दलीयों को 167 सीटें मिलेंगी.
ग़ौरतलब है कि साल 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 206, बीजेपी को 116, लेफ्ट को 24 और गैर एनडीए और गैर यूपीए दलों को 207 सीटें मिली थीं.
गैर एनडीए और गैर यूपीए दल
लेफ्ट के अलावा समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, एआईएडीएमके, टीएमसी, बीजेडी, डीएमके, जेडीएस, टीडीपी, वाइ एस आर कांग्रेस और टीआरएस ऐसे दल हैं जो सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाएंगे.
पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत
पूर्वोत्तर भारत में कई राज्यों में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद उसे पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में मुंह की खानी पड़ेगी. बिहार और पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय दलों के दबदबे के कारण कांग्रेस पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत की 142 सीटों में से 33 सीटों पर ही कब्जा जमा पाने में कामयाब होती दिख रही है, जबकि एनडीए 49 सीटें जीतेगी. लेफ्ट अपनी कुल 34 सीटों की 21 सीटें इन्ही इलाकों से जीतेगी. गैर एनडीए और गैर यूपीए के खाते में 39 सीटें जाएंगी.
उत्तर भारत
उत्तर भारत यानी हिंदी बोलने वाले क्षेत्र में भी कांग्रेस के लिए स्थिति अच्छी नहीं है. इन क्षेत्रों की 151 सीटों में यूपीए 36 सीटें जीतेगी. मोदी का गुणगान करने वाले इस क्षेत्र में एनडीए को 67 सीटें मिलेगी. अन्य के खाते में 48 सीटें जाएंगी. यही क्षेत्र समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गढ़ है.
दक्षिण भारत
दक्षिण भारत के एक राज्य में हाल ही में सत्ता गंवाने वाली बीजेपी की हालत इस क्षेत्र में अच्छी नहीं है. इस क्षेत्र में यूपीए को एनडीए पर बढ़त मिलेगी. दक्षिण भारत के 134 लोकसभा सीटों में से यूपीए 36, एनडीए 10, लेफ्ट 13 और गैर एनडीए व गैर यूपीए दलों को 75 सीटें मिल रही हैं.
पश्चिम भारत
नरेंद्र मोदी के इस गढ़ में एनडीए को सबसे ज्यादा फायदा होता दिख रहा है. 116 लोकसभा सीटों वाले इस क्षेत्र में एनडीए को 80, जबकि यूपीए को महज़ 31 सीटें मिल रही हैं. पांच सी सीटें गैर एनडीए और गैर यूपीए दलों को जारी रहा है. लेफ्ट को एक भी सीट इन इलाकों में नहीं मिल रही है.
वोट प्रतिशत
एबीपी न्यूज़-नीलसन सर्वे के मुताबिक लोकसभा के चुनाव अभी कराए जाएं तो देश की 27 फीसदी जनता एनडीए की झोली में अपना मत डाल देंगे, जबकि यूपीए 26 फीसदी वोट हासिल कर पाने में कामयाब रह पाएगी.
सर्वे ने दिलचस्प रहस्योद्धाटन यह भी किया है कि साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जिन मतदाताओं ने कांग्रेस में विश्वास जाहिर किया था उनमें से 74 फीसदी ही ऐसे हैं जो अब भी कांग्रेस के साथ खड़े हैं यानी अगर आज चुनाव हुए तो कांग्रेस का हाथ थमाने वालों में 26 फीसदी की गिरावट आ जाएगी.
कांग्रेस के लिए परेशानी की बात यह है कि उनके जो 26 फीसदी वोटर नाराज़ हैं, उनमें से 9 फीसदी बीजेपी के कमल को खिलाने का मन बना चुके हैं.
जबकि साल 2009 में जिन मतदाताओं ने कमल पर अपना बटन दबाया था उनमें 90 फीसदी आज भी कमल के साथ खड़े हैं. जो 10 फीसदी बीजेपी के दूर हो रहे हैं उनमें सिर्फ दो फीसदी कांग्रेस का हाथ थामना चाहते हैं.
सर्वे का ब्योरा
नीसलन का यह व्यापक सर्वे देश के 21 राज्यों के 152 लोकसभा क्षेत्रों में जनता से कुछ चुनिंदा पूछे गए सवालों के जवाब पर आधारित है. हर लोकसभा के भीतर दो विधानसभा क्षेत्रों से सैंपल लिए गए और कुल 33404 लोगों के इंटरव्यू किए गए. यह सर्वे एक मई 2013 से 10 मई 2013 के बीच किया गया.
एबीपी न्यूज़ से साभार