‘जब हत्याएं हुईं, बेडरूम में थे आरुषि और हेमराज’

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इमालवा – गाजियाबाद। नोएडा के चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में नया खुलासा हुआ है। सीबीआई ने मंगलवार को इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस, गांधीनगर (गुजरात) के डेप्युटी डायरेक्टर महेंद्र सिंह दहिया को बतौर गवाह अदालत में पेश किया। डॉक्‍टर दहिया ने अदालत को बताया कि आरुषि और हेमराज की हत्‍या में किसी बाहरी व्‍यक्ति का हाथ नहीं है और शक तलवार दंपती पर ही है।

डॉक्टर दहिया ने कोर्ट में कहा, ‘आरुषि-हेमराज दोनों पर हमला आरुषि के कमरे में हुआ था। बाद में हेमराज के शव को छत पर ले जाया गया था।’

दहिया ने बताया कि 26 सितंबर 2009 को सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर ने ईमेल से उन्हें इस केस के बारे में निर्देश दिया था। इसके बाद वह 09 अक्‍टूबर 2009 को सीबीआई की जांच टीम के साथ घटनास्थल पर गए। तब तक मकान की पुताई हो गई थी।

उन्होंने बताया, ‘मैंने मकान की सिचुएशन देखी थी। मैंने जांच में पाया कि आरुषि-हेमराज की हत्या एक ही समय पर और एक ही जगह पर की गई थी। हत्या में गोल्फ स्टिक का उपयोग किया गया। बाद में दोनों के गले सर्जिकल ब्लेड से काटे गए। जांच में पता चला कि हेमराज को मारने के बाद लाश को छत पर ले जाया गया। उसका गला छत पर काटा गया। जांच के दौरान मैंने पाया कि जिस बेड कवर में हेमराज की लाश को छत पर ले जाया गया था, वह उसकी लाश के नीचे से खींचकर निकाला गया था। जिसने हेमराज का गला काटा था, उसका पैर दरवाजे के सामने पड़े पाइप में उलझ गया, इसलिए उसका खूनी पंजा दरवाजे के बगल वाली दीवार में लग गया। सर्जिकल ब्लेड से ही दोनों के गले काटे गए।’

डॉ दाहिया ने कहा कि दोनों के गले एक कान के नीचे से दूसरे कान के नीचे तक कटे थे। यदि दोनों जीवित होते तो, खून गले से नीचे की तरफ बहता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे पता चलता है कि उनके गले लेटने की अवस्था में काटे गए थे। आरुषि के सिर में प्रेशर से चोट पहुंचाई गई, इसलिए खून के छींटे दीवार पर आए थे। सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने यह पाया कि इस घटना में किसी बहारी व्यक्ति का हाथ नहीं है और हत्याकांड की वजह दोनों का आरुषि के कमरे में आपत्तिजनक स्थिति में पाया जाना था।

मामले में अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी। इससे पहले, तलवार दंपती को कड़ी सुरक्षा में अदालत में पेश किया गया।