जलीकट्टू पर रोक से बेकाबू हुअा तमिलनाडु, सीएम अाज PM से मिलेंगे

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तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध के खिलाफ आंदोलन तेज हो गया है। मरीना तट पर बुधवार को हजारों छात्रों ने प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। लोगों की नाराजगी बढ़ती देख राज्य के मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने इस मामले में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने का फैसला किया है। इस दौरान वह प्रधानमंत्री से जल्लीकट्टी आयोजित कराने को अध्यादेश लाने की मांग करेंगे। राजधानी चेन्नई विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गया गया है।

मरीना तट पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा कि जल्लीकट्टू तमिल संस्कृति का प्रतीक है और इस पर प्रतिबंध तमिल विरोधी सोच दर्शाता है। आइटी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी भी गुरुवार को आंदोलन में शामिल हो गए। शहर के आइटी कॉरिडोर राजीव गांधी सलाई में उन्होंने विरोध दर्ज कराने के लिए मानव श्रृंखला बनाई। तमिल फिल्म कलाकारों के संगठन ने इस मुद्दे पर 20 जनवरी को भूख हड़ताल का एलान किया है। चेन्नई, कांचीपुरम, मदुरै, कोयंबटूर, तिरुचिरापल्ली, शिवगंगा, तंजावूर, सलेम, इरोड, कुड्डालोर, विरुदुनगर और कन्याकुमारी समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन किए गए। प्रदर्शन के दौरान पशु अधिकार संगठन पेटा के खिलाफ नारे लगाए गए।

मदुरै, शिवगंगा और पुट्टुकोट्टाई में सांडों को खुला छोड़कर सांकेतिक जल्लीकट्टी आयोजित किया गया। इस दौरान मदुरै के तमुक्कम मैदान में तीन छात्रों ने आत्मदाह की कोशिश की। इस बीच केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जल्लीकट्टू पर जनवरी 2016 में केंद्र की अधिसूचना में खेल और पशु देखभाल में संतुलन बनाया गया था।

हाईकोर्ट ने प्रदर्शन पर हस्तक्षेप से किया इंकार

तमिलनाडु में जलीकट्टू पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ हो रहे प्रर्दशन पर चेन्नई हाईकोर्ट ने बुधवार को हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने अपना आखिरी फैसला सुनाते हुए जलीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था।

हाइकोर्ट ने इसका अवलोकन तब किया जब एडवोकेट के बालू ने खुली अदालत में कोर्ट के नोटिस के साथ कहा मरीना रोड पर जब प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से प्रर्दशन कर रहे हैं को तो वहां बिजली की कटौती क्यों की गई। साथ ही उन्होंने शिकायत करी की प्रदर्शनकारियों के लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं की जा रही है।

प्रथम पीठ के मुख्य न्यायाधीश एस कश्मीर कौल और न्यायमूर्ति एम सुंदर ने इस मामले में ‘हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। सबसे पहले शीर्ष अदालत ने इस मामले को जब्त कर दिया था।

बता दें बुधवार को राज्य सरकार ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की है और राज्य में सांडों को काबू में करने से जुड़े इस खेल को आयोजित करवाने की अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया। सरकार ने युवाओं से कहा है कि वह इस मामले पर राष्ट्रपति से संपर्क करके उनसे अध्यादेश लाने की मांग करेंगे।