जेल में बंद विचाराधीन नेताओं के चुनाव लड़ने का चलन समाप्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोई व्यक्ति जो जेल में या पुलिस हिरासत में है, वह विधायी निकायों का चुनाव नहीं लड़ सकता।
आपराधिक तत्वों को संसद या विधानसभाओं में प्रवेश करने से रोकने वाले एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि सिर्फ निर्वाचक ही चुनाव लड़ सकता है और जेल में…
जेल में बंद विचाराधीन नेताओं के चुनाव लड़ने का चलन समाप्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोई व्यक्ति जो जेल में या पुलिस हिरासत में है, वह विधायी निकायों का चुनाव नहीं लड़ सकता।
आपराधिक तत्वों को संसद या विधानसभाओं में प्रवेश करने से रोकने वाले एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि सिर्फ निर्वाचक ही चुनाव लड़ सकता है और जेल में होने या पुलिस हिरासत में होने के आधार पर उसका मत देने का अधिकार समाप्त हो जाता है।
हालांकि न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अयोग्य ठहराए जाने की बात उन लोगों पर लागू नहीं होगी जो किसी कानून के तहत एहतियातन हिरासत में लिए गए हों।
जनप्रतिनिधित्व कानून का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति ए के पटनायक और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय ने कहा कि कानून की धारा 4 एवं 5 में संसद एवं विधानसभाओं की सदस्यता के लिए योग्यताओं का वर्णन किया गया है। इसमें एक योग्यता यह भी बतायी गयी है कि सदस्य को अनिवार्य रूप से निर्वाचक होना चाहिए।