नवाज शरीफ को शपथ ग्रहण के लिए न्योते पर विवाद

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नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भेजे गए न्योते के समर्थन और विरोध में आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं। इस कदम का विरोध करने वालों का कहना है कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए, जबकि पक्षकारों का मानना है कि इससे दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि अब तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि शरीफ ने न्योता कबूल किया है या नहीं।

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे मानते हैं कि पाकिस्तान के साथ ‘जैसे को तैसा’ वाला व्यवहार रखना चाहिए। उसके सैनिक हमारी सेना के जवानों का सिर काट लें और हम उनके साथ क्रिकेट खेलें। ऐसा नहीं चल सकता है। वहीं जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शरीफ को शपथ ग्रहण में बुलाना मोदी का अच्छा कदम बताया है। उम्मीद करते हैं कि नए सिरे से बातचीत की शुरुआत होगी।

गौरतलब है कि जीत के बाद नवाज शरीफ ने ही नरेंद्र मोदी को सबसे पहले बधाई दी थी। उन्होंने मोदी को पाकिस्तान आने का न्योता दिया भी दिया था। हालांकि सूत्रों का कहना है कि अपने शपथ ग्रहण में मनमोहन को बुलाने वाले शरीफ के आने को लेकर संशय बना हुआ है। वह आज फैसला लेंगे कि खुद आएंगे या अपने प्रतिनिधि को भेजेंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि विपक्ष में बैठने पर पाकिस्तान से संबंधों को एकतरफा सामान्य करने की कोशिशों को लेकर भाजपा हमेशा विरोध करती रही है, लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद वे वाजपेयी सरकार के नक्शेकदम पर ही चलेंगे।