क्या पवन बंसल और अश्विनी कुमार सरकार पर बोझ बन चुके हैं? कांग्रेसी खेमे से छनकर आ रही खबरें कुछ इसी ओर इशारा कर रही हैं।
खबरों पर यकीन करें तो कानून मंत्री और रेलमंत्री दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कयास हैं कि दोनों के बने रहने पर सोनिया और मनमोहन सिंह में एकराय नहीं है। लेकिन अब सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को दोनों मंत्रियों पर आखिरी फैसला लेने…
क्या पवन बंसल और अश्विनी कुमार सरकार पर बोझ बन चुके हैं? कांग्रेसी खेमे से छनकर आ रही खबरें कुछ इसी ओर इशारा कर रही हैं।
खबरों पर यकीन करें तो कानून मंत्री और रेलमंत्री दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कयास हैं कि दोनों के बने रहने पर सोनिया और मनमोहन सिंह में एकराय नहीं है। लेकिन अब सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को दोनों मंत्रियों पर आखिरी फैसला लेने के लिए कहा है।
कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी सरकार की बदनामी से नाराज़ हैं। आलम यह है कि उन्होंने शुक्रवार को अश्विनी कुमार को मिलने तक का वक्त नहीं दिया लेकिन अश्विनी कुमार और पवन बंसल दोनों को पीएम का करीबी माना जाता है और अगर अश्विनी कुमार की कुर्सी जाती है तो प्रधानमंत्री कोयला घोटाले में विपक्ष के सीधे निशाने पर होंगे लेकिन सोनिया की मर्ज़ी के खिलाफ़ दोनों मंत्रिमंडल में कितने दिन बने रह पाते हैं। राजनीतिक पंडितों की नज़र इसी बात पर है। खबर यह भी है कि पवन बंसल ने 4-5 दिनों से कोई फाइल भी साइन नहीं की है। पवन बंसल और अश्विनी कुमार पर कांग्रेस के भीतर माथापच्ची जारी है लेकिन विपक्ष के तेवर अब भी नरम नहीं हैं।