पाकिस्तानी पीएम की जियारत का बहिष्कार करेंगे अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान

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इमालवा – अजमेर | हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के सज्जादानशीन मुस्लिम धर्म गुरू दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने देश की सीमा से सैनिकों के सिर काट कर ले जाने की अमानविय धटना और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार और उनके धर्म स्थलों की असुरक्षा के विरोध स्वरूप पाक प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ की अजमेर दरगाह जियारत का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

सज्जादानशीन एवं दरगाह के धर्म प्रमुख ने एक ब्यान जारी कर बताया कि दरगाह ख्वाजा साहब में पौराणिक पंरपराओं के अनुसार किसी राष्ट्राध्यक्ष की अगुवानी सर्व प्रथम उनके द्वारा दरगाह में की जाती है. इसी परंपरा का निर्वाहन करते हुए उन्होंने कई राष्ट्रों के प्रधानमंत्रियों व राष्ट्रपतियों का सूफी परंपराओं के अनुसार स्वागत भी किया है और आर्शीवाद देकर विदाई दी है.

पाक प्रधानमंत्री की प्रस्तावित अजमेर यात्रा को लेकर दरगाह के आध्यात्मिक धर्मगुरू सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने यह फैसला लिया है कि वह पाक प्रधानमंत्री की दरगाह ज़ियारत के दौरान उपस्थित रहने के लिये जिला प्रशासन को अपनी दरगाह में उपस्थिति एवं पास के लिये पत्र नहीं लिखेगें और इस यात्रा का बहिष्कार करे

नाराजगी का कारण भारतीय सैनिको का सर कलम करने की पाक की नापाक करतूत

पाक प्रधानमंत्री की यात्रा का बहिष्कार करने के कारण बताते हुऐ दरगाह दीवान के कहा कि सीमा पर षडयंत्र एवं कायरतापूर्ण तरीके से भारतीय सेना के जवानों के सिर काट कर ले जाना और शहीदों के सिर वापस नहीं लौटाना ना सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय सैन्य परंपराओं का उल्लंघन है, अपितु मानवीय मूल्यों का भी हनन है यह हरकत इस्लाम धर्म के मूल सिद्धांतों की खिलाफ वर्जी है.

क्योंकि पाकिस्तान एक इस्लामिक गणराज्य है लेकिन बड़ा अफसोस है वहां ना तो इस्लामी शिक्षाओं का पालन किया जा रहा है जबकी इस्लाम यह स्पष्ट निर्देश देता है कि पड़ोसियों के साथ शान्ति व सदाचार का व्यवहार करना चाहिये जिससे आपस में नफरत का माहौल पैदा न हो.

उन्होंने कहा कि पाक राजनीतिज्ञ इस्लामिक मूल्यों की अवहेलना करते हुए भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देकर बेकसूर लोगों की जान लेते हैं.

जबकि सभी मामलों में देश की सरकार की और से आधिकारिक विरोध दर्ज करवाने के बावजूद पाक सरकार द्वारा कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया जाकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं की गई है.

उन्होंने कहा कि बेहतर यह होता कि पाक प्रधानमंत्री भारतीय शहीदों के सिर ससम्मान भारत लाते और देश के प्रधानमंत्री को सौंपकर पाक सैनिकों की और से देश की जनता और शहीदों के परिवारों से क्षमा याचना करके फिर अजमेर दरगाह जियारत को आते जिससे दोनों मुल्को के बीच नऐ तरीके से मधुर संबधों की स्थापना की शुरूआत होती.

धर्म प्रमुख ने साफ तौर पर कहा कि पाक की और से लगातार इस प्रकार की कायरतापूर्ण एवं शर्मनाक घटनाएं किए जाने के बावजूद भी एक इस्लामिक धर्म गुरू एवं दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख की हैसियत से यदि वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ की अजमेर दरगाह जियारत के दौरान उपस्थित रहकर उनका स्वागत सत्कार करते है तो यह देश के मान सम्मान को ठेस पहुचाने के साथ सीमाओं पर देश की रक्षा कर रहे सैनिकों और शहीदों के बलिदान का अनादर करना होगा.

उन्होंने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह भारतीय उप महाद्वीप में मुसलमानों का सबसे बड़ा धर्म स्थल है और मैं ख्वाजा का वंशज एवं इस बारगाह क आध्यात्मिक प्रमुख होने के नाते उनकी धार्मिक यात्रा का बहिष्कार कर रहा हूं इस पर पाक प्रधानमंत्री स्वःविवेचना करें कि उनकी यह हाज़िरी कूबूल होगी ?