पिंजरे से जल्द आजाद होगी सीबीआई

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सरकार का तोता अब पिंजरे में कैद नहीं रहेगा। सीबीआई को स्वायत्त बनाने के लिए पीएम ने एक कमेटी बनाई है, ये कमेटी जल्द से जल्द रिपोर्ट देगी और 10 जुलाई तक सीबीआई को स्वायत्त करने के वास्ते सरकार एक आर्डिनेंस लेकर आएगी।

सीबीआई को स्वायत्त बनाने के लिए आर्डिनेंस लेकर आएगी सरकार। गुरुवार को पीएम ने एटार्नी जनरल से मुलाकात कर प्रस्तावित सीबीआई एक्ट के ड्रा…

पिंजरे से जल्द आजाद होगी सीबीआई

सरकार का तोता अब पिंजरे में कैद नहीं रहेगा। सीबीआई को स्वायत्त बनाने के लिए पीएम ने एक कमेटी बनाई है, ये कमेटी जल्द से जल्द रिपोर्ट देगी और 10 जुलाई तक सीबीआई को स्वायत्त करने के वास्ते सरकार एक आर्डिनेंस लेकर आएगी।

सीबीआई को स्वायत्त बनाने के लिए आर्डिनेंस लेकर आएगी सरकार। गुरुवार को पीएम ने एटार्नी जनरल से मुलाकात कर प्रस्तावित सीबीआई एक्ट के ड्राफ्ट पर बातचीत की। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जल्द से जल्द अमल के लिए सरकार चार लोगों की कमेटी बना रही है।  

इस कमेटी में वित्त मंत्री पी चिदंबरम, टेलीकॉम मिनिस्टर कपिल सिब्बल, डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल एंड ट्रेनिंग के मंत्री वी नारायणसामी और सीबीआई के डायरेक्टर रंजीत सिन्हा होंगे।

सीबीआई दिल्ली पुलिस स्पेशल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत काम करती है। अब इस एक्ट में संशोधन की तैयारी है। तीन साल से सीबीआई एक्ट का ड्राफ्ट DOPT के पास लंबित है। संसद की कई स्टैंडिंग कमेटी सीबीआई को स्वायत्त बनाने के लिए अलग से विधेयक पेश करने पर जोर दे चुके हैं। अब नए ड्राफ्ट एक्ट में इस वास्ते अलग से विधेयक लाया जा सकता है। NCB यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और SFIO यानी सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस की तर्ज पर सीबीआई को राज्यों में काम करने के लिए ज्यादा हक देने की बात एक्ट में है।1997 में विनीत नारायण केस मेंसुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक  सीबीआई डायरेक्टर बनाने के लिए कमेटी बनाने पर भी गौर किया जा रहा है।

वहीं अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा भी सरकार के सामने सीबीआई की लाचारी जता चुके हैं। रंजीत सिन्हा के मुताबिक सीबीआई पर सरकार का पंचतंत्र काम करता है।

सिन्हा के मुताबिक सीबीआई के अधिकारियों का कैडर गृहमंत्रालय तय करता है। डीओपीटी प्रशासनिक नियंत्रण रखता है। अगर सीबीआई को डीएसपी स्तर से ऊपर के अधिकारियों की जरूरत हो तो यूपीएससी से इजाजत लेनी होती है। अदालतों में चल रहे मामलों के लिए वकीलों की नियुक्ति कानून मंत्रालय करता है और करप्शन के मामलों की जांच के लिए सीवीसी की इजाजत लेनी होती है।