पिछले 8 वर्ष में 3 बार इस्तीफा दे चुके हैं आडवाणी

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भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पिछले 8 वर्षो में तीसरी बार इस्तीफा दिया है, जिसमें एक बार पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की प्रशंसा करने पर उठे बडे विवाद के बाद दिया त्यागपत्र शामिल है।

भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल 85 वर्षीय आडवाणी ने सात जून 2005 को पहली बार पार्टी अध्यक्ष पद से तब इस्तीफा दिया जब पाकिस्तान की छह दिनों की…

पिछले 8 वर्ष में 3 बार इस्तीफा दे चुके हैं आडवाणी

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पिछले 8 वर्षो में तीसरी बार इस्तीफा दिया है, जिसमें एक बार पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की प्रशंसा करने पर उठे बडे विवाद के बाद दिया त्यागपत्र शामिल है।

भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल 85 वर्षीय आडवाणी ने सात जून 2005 को पहली बार पार्टी अध्यक्ष पद से तब इस्तीफा दिया जब पाकिस्तान की छह दिनों की यात्रा के दौरान जिन्ना की प्रशंसा करने पर राष्ट्रीय स्वसेवक संघ और कुछ दक्षिण पंथी संगठनों ने उनकी कटु आलोचना की थी। आडवाणी ने तब जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष बताया था।

आडवाणी की पाकिस्तान यात्रा को राजनीतिक रूप से अपनी नयी छवि पेश करने और कट्टर छवि से मुक्त होने के साथ मतदाताओं के बीच अपनी उदारवादी छवि बनाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा था । उन्होंने जिन्ना द्वारा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का पुरजोर समर्थन करने का उल्लेख किया था जिसमे प्रत्येक नागरिक अपने धर्म का अनुसरण करने के लिए स्वतंत्र हो।

आडवाणी ने जिन्ना को उन गिने चुने लोगों में एक बताया था जिन्होंने वास्तव में इतिहास रचा।  अक्तूबर 2004 में पार्टी अध्यक्ष बने आडवाणी अपना इस्तीफा देने के साथ अपने बयान पर कायम रहे।

आडवाणी ने अपने त्यागपत्र में कहा,  मैंने पाकिस्तान में ऐसा कुछ भी नहीं कहा या कुछ भी ऐसा नहीं किया जिसकी मुझे समीक्षा करने या पीछे हटने की जरूरत हो। उन्होंने इसके साथ भाजपा से इस पद से मुक्त करने का आग्रह किया।

आरएसएस और विहिप ने जानना चाहा था कि आडवाणी ने जिन्ना की प्रशंसा क्यों की। आडवाणी को कांग्रेस की आलोचना का भी सामना करना पड़ा था। इस पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था, यह विडंबना और विस्मयकारी है कि आडवाणी जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष मानते हैं। उन्हें देश को धर्मनिरपेक्षता की नयी परिभाषा के बारे में बताना चाहिए।

आडवाणी ने दूसरी बार अपने इस्तीफे की घोषणा मुम्बई में आयोजित भाजपा की रजत जयंति राष्ट्रीय परिषद सत्र की समाप्ति के एक दिन बाद संवाददाता सम्मेलन में की। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि उन्हें आरएसएस के दबाव के कारण इस्तीफा देना पड़ा। अक्तूबर 2004 में पार्टी अध्यक्ष बने आडवाणी अपना इस्तीफा देने के साथ अपने बयान पर कायम रहे।

आडवाणी ने अपने त्यागपत्र में कहा, मैंने पाकिस्तान में ऐसा कुछ भी नहीं कहा या कुछ भी ऐसा नहीं किया जिसकी मुझे समीक्षा करने या पीछे हटने की जरूरत हो। उन्होंने इसके साथ भाजपा से इस पद से मुक्त करने का आग्रह किया। आरएसएस और विहिप ने जानना चाहा था कि आडवाणी ने जिन्ना की प्रशंसा क्यों की। आडवाणी को कांग्रेस की आलोचना का भी सामना करना पड़ा था।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था,  यह विडंबना और विस्मयकारी है कि आडवाणी जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष मानते हैं । उन्हें देश को धर्मनिरपेक्षता की नयी परिभाषा के बारे में बताना चाहिए। आडवाणी ने तीसरी बार अपने इस्तीफे की घोषणा मुम्बई में आयोजित भाजपा की रजत जयंति राष्ट्रीय परिषद सत्र की समाप्ति के एक दिन बाद संवाददाता सम्मेलन में की। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि उन्हें आरएसएस के दबाव के कारण इस्तीफा देना पड़ा।