पुंछ फायरिंग: शहीदों के परिजन पाक को देना चाहते हैं मुंहतोड़ जवाब

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शहीदों के घरों में मातम है लेकिन साथ ही सिर फ्रक से ऊंचा। शहीद के परिजन मुआवजा नहीं कार्रवाई चाहते हैं। उनकी बस यही इच्छा है कि पाकिस्तान को उसके नापाक हरकतों का माकूल जवाब दिया जाए।

दुनिया का सबसे बड़ा दुख है जवान बेटे की लाश को कांधा देना लेकिन आज जब वीर जवानों के अंतिम सफर में उनके अपने कांधा देंगे तो उनका सीना गर्व से चौड़ा होगा। फक्र से उनके सि…

शहीदों के घरों में मातम है लेकिन साथ ही सिर फ्रक से ऊंचा। शहीद के परिजन मुआवजा नहीं कार्रवाई चाहते हैं। उनकी बस यही इच्छा है कि पाकिस्तान को उसके नापाक हरकतों का माकूल जवाब दिया जाए।

दुनिया का सबसे बड़ा दुख है जवान बेटे की लाश को कांधा देना लेकिन आज जब वीर जवानों के अंतिम सफर में उनके अपने कांधा देंगे तो उनका सीना गर्व से चौड़ा होगा। फक्र से उनके सिर तने होंगे, जवानों का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंच चुका है। गांव के लोग शहीदों की एक झलक पाने को बेताब थे लेकिन परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था।

शहीद विजय कुमार राय के परिवार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है जिसने उनसे अपने को छीन लिया। अपनी इस मांग को लेकर उन्होंने मुआवजा लेने भी इनकार कर दिया है। पुंछ में हुए हमले में विजय के शहीद होने की खबर मिलने के बाद से ही पटना के पास दानापुर में उनके गांव में मातम पसरा हुआ है।

ये मासूम अभी ठीक से मौत के मायने भी नहीं समझता होगा लेकिन हालात ने इसे वो भी समझने को मजबूर कर दिया है। पुंछ में पाकिस्तान की कायराना हरकत ने इस मासूम के सिर से पिता का साया छीन लिया। ये उस बहादुर पिता विजय कुमार राय का बेटा है जो देश की रक्षा के लिए सीमा पर शहीद हो गए।

शहीद विजय बिहटा के अनादपुर ठेठहा गांव के रहनेवाले थे जहां अब मातमी सन्नाटा पसरा है। अपने पति के शहीद होने की खबर मिलने के बाद से ही पुष्पा देवी बेसुध हैं। बीच में अगर कुछ होश में आती भी हैं तो बस एक ही बात उनकी जुबां पर आती है कि इस गुस्ताखी के लिए पाकिस्तान को सबक जरूर मिले।

शहीद विजय के परिवार ने 10 लाख रुपये के मुआवजे को ये कहते हुए ठुकरा दिया है कि पहले पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। ऐसा नहीं होने पर पूरे परिवार ने जान देने की चेतावनी भी दी है।

जब हम अपने घरों में चैन की नींद सो रहे थे विजय सरहद पर दुश्मनों से लोहा ले रहे थे। दुश्मनों से लड़ते लड़ते विजय शहीद हो गए। विजय के भाई को उनपर फ्रक है लेकिन सरकार से ढेरों शिकायतें भी। परिजनों को विजय की शहादत की खबर तक नहीं दी गई।

सीमा पर शहीद हुए शहीद रघुनंदन के गांव में मातम पसरा है। बिहार के छपरा जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले शहीद रघुनंदन के गांव वालों कों अपने बेटे की शहादत पर फख्र है लेकिन वो सरकार से पाकिस्तान को उसके किए का दंड देने की मांग कर रहे हैं।

ये शहीद की शहादत के बाद का आक्रोश है जो संयम की सीमाओं को तोड़कर फूट पड़ा है। फट पड़ी है छाती, लहुलूहान है संवेदना, आखिर 22 साल की उम्र होती ही क्या है? इसी उम्र में शहीद रघुनंदन ने देश पर अपनी जान न्यौछावर कर दी। छपरा के इस गांव को अपने बहादुर बेटे की बहादुरी पर फक्र है। छाती गर्व से चौड़ी हो गई, माथा आसमान से उंचा है लेकिन इस बार वो पाकिस्तान को उसकी करनी का मुंहतोड़ जवाब देना चाहते हैं जिसने बेवक्त ही उनके रघुनंदन को उनसे हमेशा-हमेशा के लिए छीन लिया।

शहीद रघुनंदन अब हमेशा के लिए इन तस्वीरों में समा गए। पिता की मौत के बाद तीन साल पहले ही फौज में भर्ती हुए थे। तब से लेकर अब तक की ये सारी यादें अब गाथा बन चुकी हैं। बॉर्डर पर उनकी बहादुरी के किस्से गांव से लेकर पटना और दिल्ली तक गूंज रहे हैं। गांव में हरतरफ मौत का मातम पसरा है। बुढ़ापे की लकड़ी खो चुके बुजुर्गों के कंधे झुके हैं। आंखों में आंसुओं का दर्द समेटे जवान गुस्से में हैं और इन सभी संवेदनाओं के बीच अपने जवान बेटे की शादी का अरमान संजोई मां बेसुध पड़ी है, आखिर उसे दिलासा दें भी तो कैसे ?

मौत के मातम पर भारी है शहादत का फक्र और उसपर भी हावी है बेटे को खोने का आक्रोश और बदले का आवेश। वक्त के साथ ये सारी संवेदनाएं शायद शांत हो जाएं लेकिन सवाल ये है कि आखिर देश अपने ऐसे बहादुर सपूतों की शहादत पर कब तक चुपचाप शोक मनाता रहेगा।