बोधगया बम धमाके की जांच एनआईए को सौंपेंगे: नीतीश

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि बोधगया में कल हुए दस सिलसिलेवार बम धमाके की जांच का दायित्व एनआईए को दिया जायेगा। इसमें दो बौद्ध भिक्षु घायल हो गए थे।

जनता के दरबार के बाद नीतीश ने कहा कि इन धमाकों की जांच के लिए कल शाम केन्द्रीय अनुसंधान एजेंसी :एनआईए: की टीम बोधगया पहुंच चुकी है। पुलिस महानिदेशक एवं गृह सचिव से आज भी उनकी बातें हुयी…

बोधगया बम धमाके की जांच एनआईए को सौंपेंगे: नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि बोधगया में कल हुए दस सिलसिलेवार बम धमाके की जांच का दायित्व एनआईए को दिया जायेगा। इसमें दो बौद्ध भिक्षु घायल हो गए थे।

जनता के दरबार के बाद नीतीश ने कहा कि इन धमाकों की जांच के लिए कल शाम केन्द्रीय अनुसंधान एजेंसी :एनआईए: की टीम बोधगया पहुंच चुकी है। पुलिस महानिदेशक एवं गृह सचिव से आज भी उनकी बातें हुयी है। अभी तक वे किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाये है।उन्होंने कहा कि जांच कार्य ठीक ढंग से होना चाहिये। जल्दी में निर्णय लेना उचित नहीं होता है।

नीतीश ने कहा कि महाबोधि मंदिर की सुरक्षा के लिये केन्द्रीय बल सीआईएसएफ की सेवा ली जायेगी। इसके लिये केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि बोधगया का महाबोधि मंदिर विश्व धरोहर है और महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति (बीटीएमसी) ने भी प्रस्ताव पारित कर मंदिर की सुरक्षा को बढाये जाने की कल मांग की थी। मंदिर की आतंरिक सुरक्षा अब पुलिस के हवाले है।

नीतीश ने कहा कि सीआईएसएफ एक दक्ष केन्द्रीय बल है। सीआईएसएफ की सेवा महाबोधि मंदिर की सुरक्षा के लिये ली जायेगी और उस पर जो खर्च होगा, इसका वहन बिहार सरकार करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी घटना देश में कहीं भी हो सकती है। बिहार में सिलसिलेवार धमाके की यह पहली घटना है। ऐसी वारदातों को रोकने का कोई दावा नहीं कर सकता है। यह बहुत बडी चुनौती है।

उन्होंने कहा कि इस तरह की हर घटना को गंभीरता से लिया जाना चाहिये और आगे के लिये इससे सबक सीखा जाना चाहिये। नीतीश ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही वे मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी, आईबी के वरीय अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों को साथ लेकर घटनास्थल पर पहुंचे। स्थल का निरीक्षण किया। इस घटना के दोषियों को कठोर सजा दिलायी जायेगी।

इस घटना के विरोध में भाजपा द्वारा आज गया जिला बंद और राजद द्वारा मगध प्रमंडल बंदी की घोषणा के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि ऐसी घटनाओं पर सियासत नहीं होनी चाहिये। यह घटना अत्यन्त निदंनीय है। नीतीश ने कहा कि हमारे एक कदम :भाजपा से नाता तोडने: से सब लोग बेनकाब हो चुके हैं। भाजपा की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि उसमें सत्ता से हटने की बौखलाहट दिख रही है।

राजद की ओर इशारा करते हुए नीतीश ने कहा कि जिन्हें जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया था, वे भी सत्ता में आने के लिये लालायित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से सरकार के विरुद्ध काम करेंगे। हमारा लक्ष्य सिद्धांत पर डटे रहने का है। इसके लिये जो भी कुर्बानी देनी होगी दी जायेगी।

भाजपा के साथ जदयू के गठबंधन की चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा कि हमारा गठबंधन कुछ शर्त के साथ हुआ था, जिसमें विवादित मुद्दे और विवादित व्यक्ति को अलग रखने का था। उन्होंने कहा कि हम राम मनोहर लोहिया और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के विचारों को मानने वालों में हैं। लोहिया जी का कहना था कि जो सरकार में रहे उसे मुंह से नहीं काम से बोलना चाहिये।

नीतीश ने कहा मैं काम से बोलने में विश्वास रखता हूं और मेरा काम बोल रहा है। हम जमीन से जुडे लोग है, हमें जमीन पर ही रहने दें। नीतीश ने दावा कि बिहार में अब भाजपा और राजद की एकता अब दिख रही है और अंदर ही अंदर उनके बीच बातचीत भी चल रही है।

उन्होंने दावा किया कि यह बातचीत साधारण स्तर पर नहीं बल्कि अंदर-अंदर सीट समझौते (2014 के लोकसभा चुनाव में) तक की बात हो रही है। दोनों तरफ चिंतन चल रहा है। उन्होंने कहा कि महाबोधि मंदिर धमाके को लेकर किसी भी प्रकार का विभाजन नहीं होना चाहिए। एक अंतर्राष्ट्रीय स्थल है और हम सबको मिलकर इस चुनौती का सामना करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीलंका के राष्ट्रपति एवं अन्य कई लोगों ने फोन से उनसे बात की है और घटना की जानकारी लेकर अपना समर्थन दिया है। भाजपा के पूर्व मंत्री प्रेम कुमार द्वारा कल मुख्यमंत्री के पहुंचने पर उनके खिलाफ नारेबाजी किए जाने का जिक्र करते हुए नीतीश ने कहा कि वे जा रहे थे और उनके खिलाफ नारे लगाए जा रहे थे। भाजपा और राजद के बारे में नीतीश ने आरोप लगाया कि अब ये दोनों आपस में मिल गए हैं।

झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार के गठन किये जाने के प्रयास से जुडे एक प्रश्न का उत्तर देते हुए नीतीश ने उसे बेकार का प्रयास बताया और कहा कि वहां जो अस्थिरता की स्थिति है उसका राजनीतिक समाधान फिर से जनादेश है और वहां चुनाव होना चाहिए। जनता को मौका दिया जाना चाहिये।