इमालवा – नई दिल्ली । गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वॉर्टन इंडिया इकॉनॉमिक फोरम में मुख्य वक्ता बनने का निमंत्रण देने के बाद उनका भाषण रद्द किए जाने से तिलमिलाए उनके समर्थक जोर-शोर से जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं। मोदी के भाषण को रद्द करने को करोड़ों लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ और लोकतंत्र की अवमानना करार देते हुए बीजेपी में बहुत-से लोग सक्रिय हो गए हैं। नतीजतन, आने वाले दिनों में विडियोकॉन्फ्रेंसिंग और लाइव टेलिकास्ट के जरिए मोदी अमेरिका व कनाडा में कई भाषण दे सकते हैं।
मोदी के समर्थन और वॉर्टन इंडिया इकनॉमिक फोरम की ओर से उठाए गए कदम के विरोध में अमेरिका से भी सुर सुनाई पड़ने लगे हैं। द वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा कराए गए एक सर्वे में सामने आया कि 90% अमेरिकी वॉर्टन के फैसले को गलत मानते हैं, जबकि 6.3% लोगों ने इंस्टिट्यूट के फैसले को सही ठहराया है। इस सर्वे में चार हजार लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। अमेरिकी सांसद इनि फैलियोमाविगा ने कहा है कि किसी के विचारों को दूसरों के विचारों की कीमत पर दबाना सही नहीं है। उन्होंने कहा, ‘आमंत्रण भेजते हुए वॉर्टन को पता होगा कि एक दशक के बाद भी भारत के सुप्रीम कोर्ट को मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है।’ यूपीए सरकार के केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने वॉर्टन के कदम को गलत करार देते हुए कहा कि मोदी को अपना विचार रखने का मौका दिया जाना चाहिए था। भारत में जर्मनी के राजदूत माइकल स्टेनर ने भी मोदी के विरोध को खारिज करने वाला बयान दिया है।
अमेरिका और कनाडा में भारतीय मूल के लोगों को मोदी 9 मार्च से संबोधित करना शुरू करेंगे। ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी ने उस दिन शाम 8 बजे विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मोदी के भाषण का कार्यक्रम रखा है। इस कार्यक्रम को न्यू जर्सी और शिकागो से संचालित किया जाएगा। कार्यक्रम कनाडा में भी प्रसारित होगा। टीवी एशिया चैनल के जरिए इसे भारत में रविवार 10 मार्च की सुबह साढ़े छह बजे देखा जा सकता है। बीजेपी ओवरसीज सेल के संयोजक विजय जौली ने हमारे सहयोगी अखबार सांध्य टाइम्स को बताया, ‘वॉर्टन ने पहेल मोदी को आमंत्रण दिया, फिर कथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भाषण को रद्द कर दिया। लोग लोकतंत्र की दुहाई देते हैं और लोकतांत्रिक तरीके से लगातार तीसरी बार निर्वाचित व्यक्ति को सुनना नहीं चाहते। क्या यह सब सही है? मोदीजी को सुनने-देखने की इच्छा रखने वालों की कमी नहीं है। करोड़ों लोग उनसे जुड़े हैं। इसलिए ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी के न्यू जर्सी के अध्यक्ष जयंत पटेल और शिकागो के अध्यक्ष चंद्रकांत पटेल ने यह पहल की है।’
वॉर्टन इंडिया इकनॉमिक द्वारा नरेंद्र मोदी का भाषण रद्द किए जाने पर केंद्रीय मंत्री शशि थरूर का भी अपनी पार्टी कांग्रेस से अलग नजरिया है। उन्होंने कहा कि इंस्टिट्यूट को गुजरात के मुख्यमंत्री को आमंत्रित किए जाने के बाद उन्हें सुनना चाहिए था। थरूर ने अपनी प्रतिक्रिया के दौरान कहा कि वह अपनी पार्टी या सरकार की ओर से ऐसा नहीं कह रहे हैं, बल्कि अपना व्यक्तिगत नजरिया जाहिर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं मोदी से हर स्तर पर पूरी तरह असहमति रखता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि उनका निमंत्रण रद्द कर उनकी आवाज को दबाने से ज्यादा बेहतर है कि उनके रकॉर्ड और विचारों पर बहस की जाए। उन्होंने एक बार जब मोदी को आमंत्रित किया तो मोदी के विचारों को सुनना उनका कर्तव्य था।’
मोदी को जर्मनी ने भी बड़ी राहत दी है। भारत में जर्मनी के राजदूत माइकल स्टेनर ने कहा कि मानवाधिकार और बीजेपी नेता की छवि को आपस में नहीं जोड़ जा सकता है। अब इस बहस को कोई मतलब भी नहीं है। उन्होंने कहा कि हम मोदी से बात करते हैं या नहीं, इसका मानवाधिकार या महिलाओं के अधिकारों से कोई लेना देना नहीं है। हम इस बहस को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं।
अमेरिकी सांसद इनि फैलियोमाविगा ने मोदी का समर्थन करते हुए कहा, ‘यह दुखद है कि कुछ प्रफेसरों के विरोध के बाद वॉर्टन ने उनको भेजा गया आमंत्रण रद्द कर दिया। विरोध करने वाले लोग कानून के बाहर जा रहे हैं और अलग मत रखने वाले लोगों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं। वह एकमात्र अमेरिकी सांसद हैं जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर मोदी का समर्थन किया है।
फैलियोमाविगा विदेशी मामलों की कमिटी की एशिया प्रशांत सब-कमिटी के वरिष्ठ सदस्य भी हैं। उनका कहना है, ‘यूनिवर्सिटी अलग अलग मतों का स्थान है। किसी के विचारों को दूसरों के विचारों की कीमत पर दबाना सही नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘अमेरिका-भारत रिश्ते अमेरिका के लिए भी बहुत अहम हैं और मोदी भारत के बहुत बड़े व महत्वपूर्ण नेता हैं। इसलिए मैं दोबारा कहता हूं कि यह सही समय है जब अमेरिका को मुख्यमंत्री मोदी के साथ वार्ता शुरू करनी चाहिए जो भारत के अगले प्रधानमंत्री भी हो सकते हैं।’
अमेरिकी सांसद इनि फैलियोमाविगा ने मोदी का समर्थन करते हुए कहा, ‘यह दुखद है कि कुछ प्रफेसरों के विरोध के बाद वॉर्टन ने उनको भेजा गया आमंत्रण रद्द कर दिया। विरोध करने वाले लोग कानून के बाहर जा रहे हैं और अलग मत रखने वाले लोगों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं। वह एकमात्र अमेरिकी सांसद हैं जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर मोदी का समर्थन किया है।
फैलियोमाविगा विदेशी मामलों की कमिटी की एशिया प्रशांत सब-कमिटी के वरिष्ठ सदस्य भी हैं। उनका कहना है, ‘यूनिवर्सिटी अलग अलग मतों का स्थान है। किसी के विचारों को दूसरों के विचारों की कीमत पर दबाना सही नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘अमेरिका-भारत रिश्ते अमेरिका के लिए भी बहुत अहम हैं और मोदी भारत के बहुत बड़े व महत्वपूर्ण नेता हैं। इसलिए मैं दोबारा कहता हूं कि यह सही समय है जब अमेरिका को मुख्यमंत्री मोदी के साथ वार्ता शुरू करनी चाहिए जो भारत के अगले प्रधानमंत्री भी हो सकते हैं।’