मोदी हरगिज मंजूर नहीं, नीतीश का खुला विरोध!

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पीएम पद के लिए नरेन्द्र मोदी की दावेदारी का मुखर विरोध कर रहे नीतीश कुमार ने एक बार फिर मोदी की मुखालफत की है। इस बार नीतीश ने बीजेपी से दो टूक कहा है, अगर वो गठबंधन की सलामती चाहती है तो मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार न बनाए।

नीतीश को मोदी मंजूर नहीं, ये बात जगजाहिर है लेकिन अब तक इस मसले पर इशारों-इशारों में अपनी नाराजगी जतलाते रहे नीतीश ने…

मोदी हरगिज मंजूर नहीं, नीतीश का खुला विरोध!

पीएम पद के लिए नरेन्द्र मोदी की दावेदारी का मुखर विरोध कर रहे नीतीश कुमार ने एक बार फिर मोदी की मुखालफत की है। इस बार नीतीश ने बीजेपी से दो टूक कहा है, अगर वो गठबंधन की सलामती चाहती है तो मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार न बनाए।

नीतीश को मोदी मंजूर नहीं, ये बात जगजाहिर है लेकिन अब तक इस मसले पर इशारों-इशारों में अपनी नाराजगी जतलाते रहे नीतीश ने अब खुलकर मोर्चा संभाल लिया है। बीजेपी से इस बात की गारंटी मांगी है कि वो मोदी को पीएम पद के लिए एनडीए का उम्मीदवार नहीं बनाएगी। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में नीतीश ने कहा कि बीजेपी को सार्वजनिक तौर पर इस बात का ऐलान करना होगा, सिर्फ निजी आश्वासन देने से बात नहीं बनेगी।

हालांकि नीतीश ने अपने इंटरव्यू में मोदी का नाम तो नहीं लिया पर ये साफ है कि जेडीयू का ऐतराज किसकी उम्मीदवारी से है। जदयू की मांग है कि पीएम पोस्ट के लिए ऐसा सेकुलर चेहरा होना चाहिए, जिसकी छवि बेदाग हो और जो बतौर पीएम सबको साथ लेकर चल सके।

साफ है, मोदी का नाम लिए बगैर ही नीतीश ने अपनी अंतिम राय ज़ाहिर कर दी है लेकिन क्या बीजेपी को नीतीश की ये शर्त गवारा होगी?

हकीकत ये है कि बीजेपी के लिए अब न तो मोदी के मामले में कदम पीछे हटाना मुमकिन है और ना ही नीतीश को मनाना। हां, इस मुद्दे पर फिलहाल खामोश रहना बीजेपी के लिए एक विकल्प हो सकता था पर नीतीश ने उसकी गुंजाइश भी नहीं छोड़ी। ऐसे में अब करीब करीब ये तय हो चुका है कि 17 साल पुराना ये दोस्ताना अब नहीं टिकने वाला। इंतजार है तो बस पटना में जेदयू की होने वाली मीटिंग का, जिसमें इस रिश्ते पर आखिरी फैसला लिया जाना है।

उधर जदयू और भाजपा के रिश्तों में आई खटास के बीच विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया है कि कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए एनडीए में एकता जरूरी है। सुषमा ने लिखा है कि इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी राजग एकजुट हुआ है, तब कांग्रेस की पराजय हुई है। इसलिए हमें इस गठबंधन को टूटने से बचाने के सभी संभव प्रयास करने चाहिए।