राष्ट्रपति ने केजरीवाल को दी नसीहत, संविधान के दायरे में बने कानून

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अरविंद केजरीवाल को नसीहत देते हुए कहा है कि काननू बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियों को संसद की सुचिता का खयाल रखना चाहिए। कानून की वैधानिकता को उचित ठहराने का हक केवल कोर्ट को है। संविधान का पालन करना हर पार्टी का नैतिक दायित्व है। कोई भी कानून संविधान के दायरे में ही बनना चाहिए। संसद राजनीति की गंगोत्री है।

गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा में जन लोकपाल बिल पास कराने को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार अड़ गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साफ कह दिया कि यदि दूसरे दलों से समर्थन न मिलने के कारण यह बिल पास नहीं होता है तो वह इस्तीफा दे देंगे। इस पर उनकी सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि यह केजरीवाल की जिम्मेदारियों से दूर भागने की रणनीति है। अगर जन लोकपाल बिल को संवैधानिक तरीके से लाया जाएगा तो पार्टी उसका पूरा समर्थन करेगी।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित दूसरे साहित्य उत्सव के अंतिम दिन रविवार को केजरीवाल ने कहा, ‘मैं सरकार चलाने या मुख्यमंत्री बनने नहीं आया हूं, भ्रष्टाचार मिटाने आया हूं। मेरा मकसद जन लोकपाल बिल लाना है। भ्रष्टाचार मिटाने के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी सौ बार कुर्बान है। अगर बिल पास नहीं हुआ तो इस्तीफा दे दूंगा।’ उन्होंने कहा कि जन लोकपाल बिल और स्वराज बिल विधानसभा में गुरुवार को पेश किया जाएगा।

उधर, रविवार को ही आप की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस बैठक में तय किया कि जन लोकपाल बिल को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा, भले ही सरकार की बलि चढ़ानी पड़े। ज्ञात हो कि 70 सदस्यों की विधानसभा में विनोद कुमार बिन्नी को पार्टी द्वारा निष्कासित किए जाने के बाद आप के सदस्यों की संख्या 28 से घटकर 27 रह गई है। कांग्रेस के आठ और भाजपा के 32 विधायक हैं। बिल का विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल भाजपा के साथ ही केजरीवाल सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस भी विरोध कर रही है। मुख्यमंत्री का कहना है कि राष्ट्रमंडल खेल परियोजनाओं में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराने का निर्णय लेने के कारण कांग्रेस ने अपना विरोध और तीखा कर दिया है।