राष्ट्रपति भवन से खुफिया जानकारी हासिल कर रहा है ISI

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क्या हिंदुस्तान के दुश्मनों की जड़ें अब उसके दिल तक पहुंच चुकी हैं। क्या ISI के आंख और कान उस चारदीवारी के भीतर भी है जहां से देश चलता है। सूत्रों से मिली खबर पर यकीन करें तो आईएसआई राष्ट्रपति भवन, रक्षा मंत्रालय और सेना मुख्यालय जैसी जगहों पर सीधे फोन करके खुफिया जानकारी हासिल कर रही है।

इंटेलिजेंस ब्यूरो के मुताबिक ऐसा कई महीनों से चल रहा है और कु…

क्या हिंदुस्तान के दुश्मनों की जड़ें अब उसके दिल तक पहुंच चुकी हैं। क्या ISI के आंख और कान उस चारदीवारी के भीतर भी है जहां से देश चलता है। सूत्रों से मिली खबर पर यकीन करें तो आईएसआई राष्ट्रपति भवन, रक्षा मंत्रालय और सेना मुख्यालय जैसी जगहों पर सीधे फोन करके खुफिया जानकारी हासिल कर रही है।

इंटेलिजेंस ब्यूरो के मुताबिक ऐसा कई महीनों से चल रहा है और कुछ मामलों में अहम जानकारी देश से बाहर गई भी है। आईबी ने आगाह किया है कि ऐसे वाकयों से सचेत रहने की ज़रुरत है जिनमें संवेदनशील महकमों के अधिकारी अनजान लोगों से बात करते पाए जाएं। एक निजी अखबार के सूत्रों के मुताबिक 21 फरवरी को दिलसुखनगर धमाकों के फौरन बाद एनएसजी हेडक्वार्टर में भी एक ऐसा ही रहस्यमयी कॉल आया था। खुद मेजर एमआई-थ्री के मेजर अजय शर्मा बताने वाले शख्स ने हैदराबाद में एनएसजी टीम की तैनाती की जानकारी हासिल की थी।

सूत्रों से मिली खबर को सच मानें तो ISI की हिमाकत ये है कि वो कई संवेदनशील प्रतिष्ठानों में अब सीधे फोन करके खुफिया जानकारी हासिल करने लगी है। आईबी के मुताबिक पिछले कुछ महीनों से ना सिर्फ राष्ट्रपति भवन और गृह मंत्रालय बल्कि सेना मुख्यालय में भी ऐसे रहस्यमयी कॉल्स आए हैं।

अखबार के सूत्रों की मानें तो आईएसआई इन कॉल्स की पहचान बदलने के लिए जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है। कुछ मामलों में भारतीय अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए ऐसे नंबर गढ़े गए जो रायसीना हिल्स के टेलीफोन नंबरों से मिलते जुलते हैं।

अखबार के सूत्रों की मानें तो 21 फरवरी को हैदराबाद के दिलसुखनगर में धमाकों के बाद एनएसजी के हेड ऑफिस में भी इसी तरह का कॉल आया था। इस कॉल में एक शख्स ने MI-3 के मेजर अजय शर्मा होने का दावा किया और दिलसुखनगर में एनएसजी टीम की तैनाती की जानकारी मांगी। उसे वो तफ्सील दे भी दी गई। बाद में पता चला कि इस कॉल के पीछे मोहम्मद तस्लीम नाम के आईएसआई अफसर का हाथ था।

देश की खुफिया एजेंसियों ने अब अहम प्रतिष्ठानों के अफसरों को अंजान लोगों से फोन पर बात करने के लिए आगाह किया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या आईएसआई की इस साज़िश में घर का विभीषण भी कोई है?